बनारस में जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) के दो दिवसीय राज्य सम्मेलन में पहले दिन राज्य भर के सामाजिक कार्यकर्ता जुटे 

वाराणसी से संवाददाता घनश्याम गुप्ता कि रिपोर्ट

वाराणसी ।। बनारस में आज दिन शुक्रवार को लोक चेतना समिति, चिरईगाँव वाराणसी में ' जन आंदोलनो का राष्ट्रीय समन्वय ' ( NAPM ) के दो दिवसीय राज्य सम्मेलन की शुरुवात हुई। सम्मेलन में उत्तर प्रदेश राज्य के कई जिलों से सामाजिक कार्यकर्ता जुटे। कार्यक्रम के पहले दिन की शोभा दिल्ली से शामिल हुए प्रो० अपूर्वानंद और डॉ सौरभ बाजपेयी सरीखे शिक्षाविदों  का शैक्षणिक सम्बोधन रहा। 

ज्ञातव्य है की NAPM का उत्तर प्रदेश राज्य सम्मेलन 11 एवं 12 अक्टूबर, 2019 को लोकसमिति चिरईगांव बनारस में हो रहा है। ' लोकतन्त्र पर बढ़ते खतरे : हमारे सविंधान और अस्मिता का सवाल ' शीर्षक से आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में सत्रवार प्रदेश भर में चल रहे संघर्षो के जमीनी अनुभवों को साझा किया जाएगा। साथ ही देश के स्तर पर इन संघर्षो को कैसे ले चला जाए और जनता की आवाज़ को कैसे मजबूती दी जाए इस विषय पर शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में बातचीत और समझदारी बनाने की कोशिश होनी है।

सम्मेलन के पहले दिन 11 अक्टूबर को प्रातः 10 बजे उद्घाटन सत्र शुरू हुआ। ' संकुचित राष्ट्रवाद में सिकुडता समाज ' उपशीर्षक पहले सत्र के मुख्य वक्ता प्रो० अपूर्वानंद ने '' नर्मदा बचाओ आंदोलन की बात करते हुए कहा कि नदी को बचाने का संघर्ष जिंदगी को बचाने का भी संघर्ष है।  वर्तमान समय में ज्यादा उपभोग करने को विकास कहा जा रहा है जो की वास्तव में विनाश है। लोकतंत्र में बहुमतवाद को खतरनाक बताया।  जनतंत्र में लोक का महत्व बतलाते हुए परस्पर समन्वय करने की बात कही" । एनएपीएम के विषय में सुनीति सु.र.ने बात रखी। क्रिश्चियन समाज के ऊपर बढ़ रहे हमलो पर पैटसी डेविड ओर दीनानाथ ने बात रखी। मसीहुद्दीन संजरी ने निशाने पे मुस्लिम समुदाय विषय पर बोलते हुए ईसाई और मुस्लिम बिरादरी पर हो रही हिंसा और घृणा को भारतीय राज्य के संविधानिक असफलता के रूप में दर्ज होने का अंदेशा जताया। अल्पसंख्यको के साथ भेदभाव साझी संस्कृति के विरासत के खिलाफ है और हमारे सामाजिक ताने बाने को तोड़ रहा है। दलित अधिकारों की लड़ाई पर ब्लू पैंथर समूह - मेरठ से आए सुशील गौतम ने तफ्सील से बात रखी।  आए दिन अख़बार में दलित उत्पीड़न की घटनाओ , सरकारी नौकरियों में दलितों के साथ भेदभाव के आंकड़े स्थिति की भयावहता को दर्शा रहे है। अध्यक्षता वरिष्ठ गाँधीवादी अमरनाथ भाई ने किया उन्होंने कहा कि, "आज लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयंती है. NAPM गाँधी और लोकनायक के विचारों पर चलने वाला समन्वय है. आज देश में गाँधी और जे. पी. के विरासत पर हमला हो रहा है. हमलोग आपातकाल के समय सत्ता से लड़े  थे लेकिन उस समय भी ऐसा डर का माहौल नहीं था. आज जब हम गाँधी जी की 150वीं जयंती मना रहे हैं तो उन्हें सबसे सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम अपने अंदर के डर से जीतें। सच और निर्भयता के रास्ते पर ही लोकतंत्र के लक्ष्य हासिल होंगे. स्वागत वक्तव्य नीति भाई ने किया सत्र संचालन नन्दलाल मास्टर और ऋचा सिंह ने किया है।          

दूसरे सत्र में उपशीर्षक ' विकास के दावे, वास्तविकता ओर हमारी चुनौतियाँ ' विषय पर मुख्य वक्तव्य डॉ सौरभ बाजपेयी ने रखते हुए बोला की ," प्रेमचंद बनारस से थे ये जमीं प्रेमचंद की है. उनके साहित्य में हमेशा वंचित वर्ग का संघर्ष दिखता रहा. जब हम अपने लोकतंत्र और संविधान की बात करते हैं  तो आज़ादी बराबरी और दोस्ती के मूल्यों को पाना लक्ष्य होता है. समय आ गया है कि जनता सत्ता में बैठे लोगों को इन मूल्यों का पाठ पढायें। " आर्थिक मंदी और हमारी नीति पर प्रो० एन.के.मिश्रा अर्थशात्र विभाग बी.एच.यू. ने भारत  आर्थिक हालात को बेहद चिंताजनक बताया। असंगठित क्षेत्र  दुष्वारियों को बताते हुए सरकार से अपील करी की बेरोजगारी बढ़ते आंकड़ों के बीच ये एक बेहद आपात स्थिति है। बैंकिंग का स्तर गिर रही है। निवेश दूर दूर तक दिखलाई नहीं दे रहे। अति महत्व के विषय कश्मीर और कश्मिरियत पर बिलाल मजीद ने मार्मिक वक्तव्य दिया। मीडिया और लोकतंत्र विषय पर नसीरुदिन भाई ने बात रखी। सत्र का संचालन अरविन्द मूर्ति और एस.पी.राय ने किया। 

सायंकालीन सत्र में सांस्कृतिक प्रस्तुतिया हुई।  

कार्यक्रम में प्रमुख उपस्थितियो में अरुंधति धुरु, ऋचा सिंह, राजीव यादव, विलाल मजीद, सुशील, रंजू सिंह, धनंजय त्रिपाठी, वल्लभ पांडेय,  सुरेन्दर सिंह, रामजनम भाई, सुरेश, महेन्दर, दिवाकर, योगीराज, रेनू, श्रद्धा, उर्मिला, रामबेटी, सतीश, अल्तमश, जे. पी. सिंह, रामकिशोर, फादर आनंद,  आत्म प्रकाश आदि लोग मौजूद रहे।

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