घर को यूँ वीरान बना के बैठे हैं
- Hindi Samaachar
- Oct 15, 2019
- 679 views
घर को यूँ वीरान बना के बैठे हैं
रिश्तों को बेजान बना के बैठे हैं ।
बूढ़ी माँ को भेज दिया वृद्धाश्रम मे
कोठी आलीशान बना के बैठे हैं ।
देखो तो अभिशाप कहीं न बन जाए
हम जिसको वरदान बना के बैठे हैं ।
उनकी करतूतों का कैसा ताण्डव है
हम जिनको भगवान बना के बैठे हैं ।
पैसे लेकर बेच रहे हैं वोटों को
कैसा हिन्दुस्तान बना के बैठे हैं ।
जब से छूकर पाँव चले हैं हम माँ के
हर मुश्किल आसान बना के बैठे हैं ।
●अभिषेक उपाध्याय श्रीमंत
रिपोर्टर