देशभर में हेड इंजरी से सडक़ हादसों में हो रही है 70 फीसदी मौत

इंटरनेशनल कांफ्रेंस में न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने जताई चिंता 

मुम्बई ।। देश में वर्तमान में हो रहे सडक़ हादसों में हर साल करीब 1600 सैन्यकर्मी अपनी जान गवां रहे हैं। यह आंकड़ा सेना की करीब दो बटालियनों के बराबर आंका गया है। यह बात न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एनएसआई) की ओर से पवई के एक होटल में रोड सेफ्टी पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में कर्नल हेल्थ ऑफ हैडक्वार्टर मुम्बई, गुजरात एण्ड गोवा सब एरिया श्रीनिवास ने कही।

एशियन-ऑस्ट्रेलियन कांग्रेस ऑफ न्यूरोलॉजिकल सर्जन्स न्यूरो ट्रोमा कमेटी के चैयरमैन व सवाई मानसिंह हस्पताल, जयपुर के न्यूरोसर्जन डॉ. विरेंद्र डी. सिन्हा ने बतौर मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि कहा कि भारत में सिर में चोट की वजह से करीब 70 फीसदी मौतें होती हंै, जो कि विश्व में सर्वाधिक हैं। भारत में दुर्घटनाओं के दौरान सिर में चोट लगने से छह में से एक की मौत हो जाती है जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 200 में से एक है। सिर में चोट लगने के कारण ट्रामैटिक ब्रेन इंजरी (टीबीआई) होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। यदि दुर्घटना के बाद गोल्डन अवर यानी एक घंटे के भीतर घायल व्यक्ति को हस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए मगर अफसोस इस बात का है कि हमारे देश में करीब 24 फीसदी मरीज ही इस अवधि में हस्पताल पहुंच पाते हैं। चिंताजनक बात ये है कि देश में दुर्घटना के समय फस्टऐड नहीं मिलने की वजह से ही सडक़ हादसों में से 20 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के संभाग मुख्यालयों पर स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 35 न्यूरो सर्जन्स सेवारत हैं। उन्होंने हेलमेट द्वारा हेड प्रोटेक्शन का लाइव डेमो भी दिया। 

एनएसआई के चैयरमेन व चैनई के न्यूरो सर्जन डॉ. के. श्रीधर ने हेड इंजरी के उपचार में न्यूरो सर्जन्स की कमी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत में 132 करोड़ की आबादी पर महज तीन हजार न्यूरो सर्जन्स हैं। इस लिहाज से लगभग 40 लाख की आबादी पर एक न्यूरो सर्जन है, जबकि अमेरिका में तीन हजार की आबादी पर एक न्यूरो सर्जन है। 

रोड सेफ्टी के कार्यक्रम सचिव व हिंदुजा हॉस्पीटल मुम्बई के न्यूरो सर्जन डॉ. केतन देसाई ने कहा कि विश्व में सडक़ हादसों में लगभग 50 मिलियन से अधिक लोग गैर-घातक चोटों का सामना करते हैं, जबकि कई चोटों के कारण जिंदगीभर के लिए अपाहिज हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हेड इंजरी से होने वाली मौतों की बात करें तो वर्ष 2018 में कुल हादसों में से 35.2 फीसदी यानी एक लाख 64 हजार 313 हादसे दोपहिया वाहनों के हुए हैं जिनमें 31.4 फीसदी अर्थात् 47 हजार 560 लोगों की मौत हो गई, जबकि 1 लाख 53 हजार 585 लोग घायल हुए। इन हादसों में करीब 70 फीसदी की मौत हेड इंजरी की वजह से होती है। डा. देसाई ने कहा कि हैरानीजनक बात ये है कि देश में सडक़ हादसों की वजह से सर्वाधिक मौत का शिकार 18 से 35 वर्ष आयुवर्ग के युवा हो रहे हैं। वर्ष 2018 में हुए कुल हादसों में 48 फीसदी यानी कुल 72 हजार 737 युवाओं (18 से 35 वर्ष आयुवर्गं) की मौत हुई, जो कि देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है। 

महाराष्ट्र में 300 न्यूरो सर्जन्स

एनएसआई के सदस्य व ग्लोबल हॉस्पीटल, मुम्बई के न्यूरो सर्जन डॉ. सुरेश सांखला ने कहा कि महाराष्ट्र प्रदेश में करीब 300 तथा अकेले मुम्बई के सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेज तथा हॉस्पिटल्स में लगभग 150 न्यूरो सर्जन्स हैं। उन्होंने देशभर में आपातकालीन नंबर एक ही करने का सुझाव दिया। डॉ. सांखला ने कहा कि हर राज्य में अलग-अलग एबुंलेंस नंबर है जबकि विदेशों में एक ही आपातकालीन नंबर होता है। हमारे देश में एक ही आपातकालीन नंबर होना चाहिए।

सडक़ हादसों में भारत विश्व में अव्वल

इंटरनेशनल रोड सेफ्टी कांफ्रेंस के चैयरमेन डॉ. बीके मिश्रा ने कहा कि सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2018 में सडक़ हादसों के मामले में 199 देशों में से भारत विश्व में नंबर वन है। यहां सडक़ हादसों में 0.46 फीसदी की दर से बढ़ोतरी दर्ज की गई। देश में वर्ष 2018 में 4 लाख 67 हजार 44 सडक़ दुर्घटनाओं में एक लाख 51 हजार 417 जनों की मौत हुई, जबकि 4 लाख 69418 लोग घायल हुए। उन्होंने कहा कि भारत में रोजाना 1280 हादसों में 415 लोगों की मौत हो जाती है यानी हर घंटे 53 हादसों में 17 जनों की जान गंवानी पड़ रही है। यदि बात महाराष्ट्र व राजस्थान की कि जाए तो महाराष्ट्र में साल 2018 में 35717 हादसों में 13261 जने मौत का शिकार हुए हैं, जबकि राजस्थान में 21743 सडक़ हादसों में 10320 लोगों को जान गंवानी पड़ी। 

देश में सालाना 1.51 मिलियन की मौत 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रोटरी क्लब के डिस्ट्रिक गर्वनर हरदीप सिंह तलवार ने कहा कि देश में सडक़ दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप लगभग 1.51 मिलियन लोग हर साल मरते हैं। सभी सडक़ हादसों में आधे से अधिक असुरक्षित सडक़ उपयोगकर्ता यानी पैदल यात्री, साइकिल चालक और मोटरसाइकिल चालक मौत का शिकार होते हैं। दुनिया के कम-मध्यम और मध्यम आय वाले देशों में भले ही इन देशों में दुनिया के लगभग 60 प्रतिशत वाहन हैं लेकिन इनमें सडक़ हादसों की संख्या का आंकड़ा 93 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि सडक़ दुर्घटनाओं में अधिकांश देशों के जीडीपी का 3 प्रतिशत खर्च होता है। उन्होंने मुम्बई में सडक़ सुरक्षा को लेकर पुलिस-प्रशासन के साथ रोटरी क्लब द्वारा चलाए जा रहे अभियान के बारे में बताया। इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद सेना के जवानों, स्कूल/कॉलेज स्टूडेट्स व आमजन ने रोड सेफ्टी के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब दिए। गेस्ट ऑफ ऑनर फिल्म अभिनेत्री दिव्या जगदाले ने रोड सेफ्टी को लेकर युवाओं को सतर्कता बरतने का आह्वान किया। अंत में सडक़ दुघर्टना के तुरंत बाद घायलों को दिए जाने वाले प्राथमिक उपचार के बारे में वीडियो के जरिए जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन बॉलीवुड एक्टर व कोरियोग्राफर विकास सक्सेना एवं आरजे देवांगना ने किया।

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