प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से मरने को मजबूर बेजुबान जानवर



 जौनपुर जिले के शाहगंज तहसील के सुइथाकला ब्लॉक अंतर्गत स्थित समोधपुर गाँव में 2 दिनों से 110 गायों व गोवंश को ग्रामीण किसानो द्वारा उनकी फसलों को इन छुट्टा पशुओं द्वारा फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिये प्राथमिक विद्यालय  में इकट्ठा किया गया है।  2 दिनों से प्रशासन द्वारा इनके खाने पीने का कहीं कोई इंतजाम नहीं है। ऐसी स्थिति में इन बेजुबान जानवरों का बचना मुश्किल है। सर्दी का मौसम भी इन बेजुबान के लिए मुसीबत में मुसीबत बना हुआ है।


आश्चर्य तो इस बात का है कि विद्यालय इसी कारण से दो दिनों से बंद पड़ा है, फिर भी प्रशासनिक अमले में कोई घबराहट या चिंता नहीं है। देश के बच्चों का भविष्य भी इसी में पिस रहा है । 

इन बेजुबान जानवरो की इस स्थिति के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? सरकार तो गाय व  गोवंश संरक्षण के लिए कानून को कठोरता से लागू कर रही है किंतु  जनता द्वारा गाय व  गोवंश को खुला छोड़ देना क्या उचित है ? 


छुट्टा पशुओं की दिन प्रतिदिन बढ़ती संख्या किसान के लिए सिरदर्द का कारण है किन्तु इन बेजुबानों को छुट्टा छोड़ने वाला भी किसान ही है। 


सरकार द्वारा इन जानवरों के संरक्षण हेतु भारी भरकम धनराशि खर्च तो की जा रही है किंतु इससे किसान को कोई लाभ मिलता नहीं दिख रहा है । सरकार को लोगों में गाय व गो वंश के संरक्षण हेतु मानसिकता बनवाने के लिए कोई ठोस कदम उठाना होगा अन्यथा इस पर स्थित से निपटना संभव नहीं है। 

सरकार जिस धन राशि को गोशाला बनवाने उनके खाने पीने का प्रबंध करने व कर्मचारियों को वेतन देने में खर्च कर रही है यदि उसी धनराशि को गो व गोवंश पालको में वितरित करे तो संभवत लोग जानवरों को छोड़ने की आदत छोड़ देंगे तथा उन जानवरों के मल मूत्र से तैयार खाद का प्रयोग खेतों में करके रासायनिक खाद से मुक्त अनाज भी तैयार कर देश को रासायनिक खाद के प्रयोग से मुक्ति दिलाएँगे जिससे लोगों व पर्यावरण को भी लाभ होगा।

रिपोर्टर

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