राजनीत के माहिर खिलाड़ी--डॉ, रामानंद यादव उर्फ रामनंदन यादव, विधायक(राजद पार्टी)फतुहा विधानसभा,

बिहार ।। पटना राजनीत के माहिर खिलाड़ी--डॉ, रामानंद यादव उर्फ रामनंदन यादव, विधायक(राजद पार्टी)फतुहा विधानसभा, बिहार--युवा अवस्था से ही सामाजिक गतिविधियों में गहरी रुचि, समाज सेवा और अध्य्यन के बदौलत महाविद्यालय से लेकर विधानसभा तक की सफर तय की, विज्ञान विषय से पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी की डिग्री हासिल कर के बर्तमान में बीएन कॉलेज पटना में व्याख्या और बर्तमान मेंविधायक,1985में पहली बार पटना पश्चिमी विधानसभा का निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर विधायक बने,1990में पुनः विधायक फिर2002में राजद पार्टी से दानापुर विधानसभा से विधायक और फिर2010से बर्तमान विधायक फतुहा विधानसभा से निर्वाचित हैं, योग्यता को देखकर बिहार सरकार ने जगजीवनराम संसदीय अध्य्यन एवं शोध संस्थान के निर्देशक1990से2001तक रहे, अपने धुन मिनहत ईमानदारी और उसूल के पक्के कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा मंजिल तय करते गये, आगामी विधानसभा2020को देखते हुये लगातार क्षेत्र में अपनी सक्रियता और विकास कार्यों के बदौलत फिर भाग्य आजमाने को चुनावी मैदान में पूरे आत्मविश्वास के साथ उतरने को आतुर डॉ यादव कहते हैं कि जनता के आशीर्वाद और विकास कार्य के बदौलत पुनः जितेंगे, फतुहा में विकास की अनेक अनसुलझे समस्यओं को निराकरण की है, आवागमन की सुबिधा, पेयजल की सुबिधा, बिजली की व्यवस्था और शैक्षिक संस्थानों का विकास इनकी प्रमुख उपलब्धि रही है पर रास्ते आसान नहीं है कई रोड़ें हैं पर इनका मानना है कि विकास जितना हमने किया है आजतक किसी प्रतिनिधि ने फतुहा में नही किया चुकी यहाँ से सुरक्षित होने के कारण दलित समाज के प्रतिनिधि हुआ करते थे सुरक्षित सीट हटने के बाद डॉ यादव प्रथम बार विधायक बने हैं, राजद पार्टी से अकेला उम्मीदबार होने के नाते जगह खाली है पर अन्य पार्टी के उम्मीदबार भी यहाँ से उम्मीदबार बनने के लिए चक्कर लगा रहे हैं, जदयू से डॉ निहोरा प्रसाद यादव प्रबल दावेदार हैं और उनकी भी पकड़ अच्छी है पर जदयू से अन्य नामों की भी चर्चा है जो राजपूत समाज से आते हैं, वही लोजपा के संभावित उम्मीदवार भी राजपूत समाज से आते हैं जो पिछले बार चुनाव में डॉ रामानंद यादव से हार गये थे कुछेक अन्य नाम भी यदा-कदा उछलते रहता है पर वो दमखम बाले नाम नहीं है और न यहाँ विशेष पकड़ है, एक दो नाम स्वत्रन्त्र उम्मीदबारों का भी है जिनमे भाजपा को छोड़कर आये स्थानीय नेता सुधीर यादव ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे है और वो बर्तमान में जिला परिषद का सदस्य हैं, डॉ निहोरा प्रसाद यादव व्यख्याता पद से सेवा निवृत्त होकर जदयू के प्रदेश महासचिव और फतुहा से जदयू के राज्यकार्यसमिति के सदस्य हैं, मुख्यतः डॉ रामानंद यादव, डॉ निहोरा प्रसाद यादव और सुधीर यादव चर्चा में हैं पर डॉ रामानंद यादव यहाँ के विधायक होने के नाते लोकप्रिय हैं, तो डॉ निहोरा प्रसाद यादव पूर्व परिचित भी हैं, फतुहा विधानसभा यादव बहुल क्षेत्र है लेकिन यहाँ अन्य जातियों में दलित अति पिछड़ा मिलाकर दूसरे स्थान पर है उसके बाद राजपूत, कुर्मी और वैश्य समाज आता है, भूमिहार ब्राह्मण की संख्या बहुत कम है और मुस्लिम समुदाय की भी जनसँख्या ज्यादा नहीं है परंतु चुनावी परिदृश्य में पार्टी भी प्रभावित करता है, मतों का ध्रुवीकरण हार जीत तय करती है, फिलहाल डॉ रामानंद यादव से पूछने पर बताते हैं कि हमारी जीत सुनिश्चित है चुकी हमने विकास किया है तो दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी के भी सम्भवीत उम्मीदबार भी ताल ठोक रहे हैं, देखना है चुनाव के समय जनता का मूड क्या होता है, अगर परिस्थियां ज्यो की त्यों रही राजनैतिक दलों की और उम्मीदबार चयन में गलतफहमी हुई तो परिणाम चौकाने बाला होगा फिलहाल डॉ रामानंद की स्थिति मजबूत दिखती है, लेकिन सबकुछ निर्भर करता है पार्टी गठबन्धन पर और जनता के निर्णय पर---आर्यावर्त प्रतिनिधि बिहार

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