क्या सचमुच चीन जन्मदाता है कोरोना वायरस का जानें इस बात में कितनी है सच्चाई

मुंबई।। कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते पूरी दुनिया में हहाकार मचा हुआ है। लेकिन जिस देश में इसकी शुरूआत हुई यानी कि चीन, वो इससे लगभग उबर चुका है। अब पूरा विश्व यहां तक कि सुपर पावर अमेरिका (America) भी चीन की तरफ संदेह भरी नजरों से देख रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) चीन को पहले ही परिणाम भुगतने की चेतावनी दे चुके हैं। अब एक वैज्ञानिक के दावों से एक नए विवाद ने जन्म ले लिया है। दरअसल, फ्रांस के नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने कहा है कि कोरोना वायरस एक लैब से आया है। उन्होंने कहा है कि SARS-CoV-2 वायरस एक लैब से आया है, और यह एड्स वायरस के लिए बनाई जा रही वैक्सीन के निर्माण के प्रयास का परिणाम है. एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि "वुहान शहर की प्रयोगशाला को 2000 के दशक के शुरुआत से ही कोरोन वायरस पर विशेषज्ञता हासिल है। वो इस क्षेत्र में एक्सपर्ट हैं '

प्रोफेसर मॉन्टैग्नियर को उनके सहयोगी प्रोफेसर फ्रानकोइस बर्रे-सिनौसी के साथ एड्स के वायरस की पहचान के लिए मेडिसिन में 2008 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि हालांकि वायरस चमगादड़ों के बीच स्वाभाविक रूप से पाया जाता है, और ये कोई जैविक हथियार नहीं है। लेकिन वुहान प्रयोगशाला में इसका अध्ययन किया जा रहा था। न्यूज चैनल ने कहा कि वायरस का प्रारंभिक प्रसार चमगादड़ से मनुष्यों में था, उन्होंने यह भी बताया कि 'पेशेंट जीरो' प्रयोगशाला में ही काम करता था। लैब का यह कर्मचारी गलती से संक्रमित हो गया और वुहान की लैब के बाहर आम लोग संक्रमित हो गए।

वॉशिंगटन पोस्ट की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दो साल पहले चीन में अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने चीनी सरकार के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, जहां घातक वायरस और संक्रामक रोगों का अध्ययन किया जाता है, में पर्याप्त जैव सुरक्षा न होने को लेकर चिंता जताई थी।हालांकि ये संस्थान वुहान के वेट मार्केट के बेहद पास स्थित है और चीन की पहली जैव सुरक्षा स्तर IV वाली लैब है, लेकिन अमेरिकी विदेश विभाग ने 2018 में चेतावनी दी थी कि इस लैब को सुरक्षित रूप से चलाने के लिए वहां पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित टैक्नीशियन और जांचकर्ताओं की कमी है।

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