आरक्षण, आरक्षण, आरक्षण।

एक तरफ सरकार जाति को खत्म करने की बात करती है, वहीं वोट के लिए इसे जीवित रखने का भी नापाक इरादा रखती है. नौकरियों में तो आरक्षण दिया जा रहा है, अब  पदोन्नति में भी आरक्षण देने के लिए सरकार एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. जाति आधारित आरक्षण से भला कैसे जाति-पांति का भेद खत्म होगा. इससे तो समस्या और गंभीर होगी. आखिर सरकार जाति को सक्षम बनाना चाहती है कि गरीबों को अपने पैरों पर खड़ा करने का इरादा रखती है. इससे पूर्व की सरकारों ने जाति-पांति खत्म करने के लिए ब्राह्मणों का हक मारकर मंदिरों में दलित पुजारी बैठा दिये. लोगों ने सोचा, इससे जाति-पांति खत्म हो जाएगी. लेकिन जाति आधारित आरक्षण से जातिवाद खत्म होने की बजाय और बढ़ रहा है. सरकार फिर आज यह नया कानून क्यों ला रही है. आखिर यह जाति कब तक रहेगा. जाति-धर्म से ऊपर उठकर हम कब सोचेंगे. हमारे लिए भारत का हर नागरिक जरूरी है और उसकी सुरक्षा देखभाल करना सरकार की पूरी-पूरी जिम्मेदारी होती है. अपने वोट बैंक के चक्कर में कभी आप आरक्षण पर बात करते हैं तो कभी यह नया कानून लाकर समाज में खाईं गहरी करने का प्रयास करते हैं. आखिर यह कब तक चलता रहेगा.

 कैबिनेट ने नए अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण विधेयक को मंजूरी दी है. सरकार इसी सत्र में इसे पारित कराना चाहती है. इसके साथ ही राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के प्रावधान वाले विधेयक को भी लोकसभा में सत्तापक्ष व विपक्ष ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया. इस समय किसी सांसद ने विरोध करने की हिम्मत नहीं दिखाई कि हम जनता से जो वादा करके आये हैं कि जाति-पांति ऊंच-नीच का भेद मिटाकर देश का विकास करेंगे, उनके सामने कैसे जाएंगे. जनता हमें माफ नहीं करेगी. जनता के चुने हुए प्रतिनिध ST_SC_एक्ट के कानून पर मौन बैठे हैं. ऐसी स्थिति में कहीं न कहीं हर वह व्यक्ति अपने आप को ठगा महसूस करता है जिसने अपना बहमूल्य वोट देकर आपको उस काबिल बनाया. बेशक आप मौन रहिए लेकिन द्रोपदी_के_चीरहरण पर जितने लोग मौन थे, इतिहास उन्हें भुला दिया. बस हम सभी राजनीतिक दलों से यही अनुरोध करते हैं कि हमारे देश के युवा का भविष्य न बर्वाद करें. बाहर से जो घुसपैठिये आ रहे हैं. आतंकी पल रहे हैं, युवा बेरोजगार हैं. उस पर ध्यान दें. लेकिन आप तो अपने वोट बैंक को कहां से मजबूत कर सकते हैं, वह सपना देख रहे हैं. नींद से उठो, सपना देखना बन्द करिये और वास्तविकता पर आईये कि आखिर भारत का नागरिक चाहता क्या है. धीरे-धीरे ऐसा होता जा रहा है कि हम और हमारा पूरा समाज अपने आप को हीन भावना से देखना शुरू कर दिया है.

 उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा देकर विकास योजनाओं को प्राथमिकता दी. मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, जनधन, उज्वला योजना, निराधार योजना, स्वास्थ्य बीमा योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत जैसी अनेक योजनाओं तथा बुनियादी ढांचे के विकास को गति देने में उनकी सरकार लगी रही. लेकिन वह असरदार साबित नहीं हुआ. इसलिए चुनाव निकट आते ही उसकी जगह अलग पैंतरे आजमाए जाने लगे. मोदी सरकार ने अब यू टर्न लेते हुए जाति को हथियार बना रही है।

पंडित अतुल शास्त्री

रिपोर्टर

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