भारत मे एक समान शिक्षा हो - रामकेश यादव
- रामसमुझ यादव, ब्यूरो चीफ मुंबई
- Jul 03, 2020
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मुंबई।। कुर्ला पश्चिम के रहने वाले कवि, साहित्यकार रामकेश एम. यादव ने छह से चौदह साल के बच्चों के लिए एक समान पाठ्यक्रम लागू करने की मांग की है।
रामकेश एम यादव ने अपने तर्क में कहा है कि देश के विभिन्न शिक्षा बोर्डों का विलय करके एक राष्ट्र, एक शिक्षा बोर्ड तथा समान पाठ्यक्रम वाली शिक्षा प्रणाली शीघ्रातिशीघ्र आरंभ करनी चाहिए।
दूसरा उन्होंने अपना तर्क रखते हुए कहा कि शिक्षा का माध्यम राज्य की शासकीय भाषाओं के आधार पर थोड़ा भिन्न होता है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उसका स्वरूप अत्याधुनिक और ग्लोबल होना चाहिए। आज की दुनिया एक गांव के समान- सी हो गई है। हमारी शिक्षा प्रणाली भी उसी के अनुरूप होनी चाहिए। किसी भी मजबूत तथा सशक्त राष्ट्र के लिए एकता, अखंडता, राष्ट्रीय भावना, वैज्ञानिक अवधारणा, जीवन-मूल्य का पाठ्यक्रम में होना अत्यावश्यक है। दलगत व प्रांतीयता के चलते जाति - पांति, ऊँच - नीच,जैसी संकीर्ण विचार धाराएं कला -कौशल को वो ऊंचाई नहीं दे पाई जो देना चाहिए था। इस देश के आत्म निर्भर न बनने के पीछे की यही सच्चाई है।
रामकेश एम यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा राष्ट्र के नागरिकों में जहाँ एक तरफ आत्म त्याग की भावना विकसित करती है वहीं दूसरी तरफ स्वार्थ लोलुपता तथा भेदभाव का क्षरण भी करती है। विशाल देश होने की वजह से यहाँ हिन्दू,मुस्लिम, सिख ,ईसाई,जैन, पारसी, यहूदी आदि जातियों व मजहबों के लोग रहते हैं। परस्पर विरोधी विचारों, सिद्धांतों, आचार - विचार, वस्त्रों, तीज - त्यौहार के मूल में यहाँ आधार भूत एकता की मिसाल देखने को मिलती है। इसका उचित लाभ पाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा - व्यवस्था की नींव डालनी चाहिए। अब तक की शिक्षा व्यवस्था का दोष ये है कि अलग - अलग राज्यों की अलग - अलग शिक्षा व्यवस्था बच्चों में देश की अपेक्षा अपने राज्यों तक सीमित करती है जो सही नहीं है। राष्ट्रीय शिक्षा के माध्यम से प्रांतीय भाषाओं को तरजीह देते हुए राष्ट्र भाषा हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित जैसे कुछ पाठ्यक्रमों को एक समान बनाया जाय तथा शेष विषय कुछ प्रांतीय, कुछ राष्ट्रीय, और कुछ अंतर राष्ट्रीय स्तर का बनाकर बच्चों में विश्व नागरिकता तथा विश्व बंधुत्व की भावना को प्रोत्साहित किया जाय।
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