घर एक मंदिर है

थाली पूजा का सजा साथ ले आईये 

मन्दिर सा पावन बना घर है मेरा

 सुबह बनकर द्वार पारकर आईए बहुत

इंतजार में खड़ा है दोपहर मेरा

दिल के धड़कन की आवाज तुम्हारे हुए

बंशी को चुराने से क्या फायदा

बिन बुलाए ही हम पास बैठे यहां फिर 

ये चूड़ी बजाने से क्या फायदा

लड़खड़ाते कदमों से न नापो डगर 

देखिए बहुत नाजुक है ये दिल मेरा

गंगा सी पवित्र पावन मन है मेरा एक हलचल

भरी नौका जीवन की इसमें चला दिजिए

तन के गमलों में जो कांटे लगे है फेकिए 

चमेली उसमें सजा लिजिए

दिल के दिपक जला अब मुझे दिखाओ रास्ता 

रात काली है लम्बा सफर है ये मेरा

जो भी कहना है बोल दिजिए बेझिझक 

नजरों से ना यूं इसारा किजिए

तुम हो नाजुक कोमल तुम्हारा हृदय 

पत्थरों को ना यूं दिल से तोड़ीये

कल थे हम तुम जो आज जिवन साथी 

बनगये आइये घर इधर है मेरा

थाली पूजा का सजा साथ ले आईये 

मन्दिर सा पावन बना घर है मेरा


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