यही दुःख है मेरा

यही दुःख है मेरा कि लोग हमें कहा समझते हैं

मैं शातिर नहीं हूं इतना कि जितना लोग हमें समझते हैं

लोगों को समझने में मेरी उम्र गुजर रही है

साहब, हम आपकी हर बात का मतलब समझते हैं

मदारी भुख से जब पेट पकड़ कर तड़पता है

गजब हैं ये लोग उसको भी एक कला समझते हैं

आप कि हर एक अदा जैसे कि मुझसे बात करती हैं

आप की नजर के इसारों को मेरे होंठ समझते हैं

विश्वास करो या ना करो आप से ही किस्मत मेरी है

ईश्वर भी जानता है कि हम आप को ही अपना 

सबकुछ समझते हैं


रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट