इलाहाबाद का नाम फिर से प्रयागराज

रिपोर्ट - सत्यवेन्द्र यादव आजाद

भारतीय संस्कृति और भारतीयों का दुबारा उदय हो रहा है

इलाहाबाद । प्रयाग का नाम पुराणों में भी दर्ज है। पुराणों व हिंदू धर्म की मान्यता अनुसार इस भूमि पर ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। यानी प्र से प्रथम और याग से यज्ञ शब्द मिलकर इस पावन भूमि का नाम प्रयाग पड़ा। इसे समस्त तीर्थों का राजा तीर्थराज, संगम, त्रिवेणी जैसे उपनामों से भी ख्याति प्राप्त है।

नगर का नाम प्रयागराज होने के बाद भी पुराने नाम से बने समस्त प्रपत्र वैध बने रहेंगे

नगर का नाम प्रयागराज कर दिए जाने के मंत्रिपरिषद के निर्णय पर  चारों तरफ से सरहाना की प्रतिक्रियाएं प्राप्त हो रही है। इस नगर को इसकी शताब्दियों पुरानी अपनी आध्यात्मिक और पौराणिक पहचान के साथ उसका वास्तविक नाम पुनः प्राप्त होने का मार्ग सुगम हुआ है।

नगर का नाम प्रयागराज कर दिए जाने के गौरव पर प्रयागराज निवासियों में हर्ष के साथ एक उत्कंठा यह भी बनी हुई है कि सरकारी अभिलेखों एवं पहचान पत्र आदि प्रपत्रों में पूर्व से चले आ रहे नाम की वैधता क्या होगी? इसके संबंध में मंडलायुक्त, डॉ आशीष कुमार गोयल ने समस्त प्रयागराज वासियों को यह आश्वस्त किया है कि पूर्व से चले आ रहे समस्त प्रकार के अभिलेखों में नगर के पूर्व नाम के उल्लेख से उसकी वैधता बाधित  नहीं होगी तथा पुराने नाम के साथ बने हुए समस्त शासकीय अभिलेख एवं प्रपत्र अपनी निर्धारित अवधि तक यथावत वैध रहेंगे।

नगर का नाम औपचारिक रूप से अधिसूचित होने के उपरांत नए बनने वाले समस्त अभिलेखों में  नाम प्रयागराज दर्ज होगा किंतु पूर्व से चले आ रहे समस्त प्रपत्र यथा पहचान पत्र, पासपोर्ट, भवन/भूमि सम्बन्धित अभिलेख, राशन कार्ड, लाइसेंस, आधार, वोटर आई डी इत्यादि  अपनी  निर्धारित वैधता अवधि तक पुराने नाम के साथ भी यथावत वैध रहेंगे।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट