हादसा तो हो गया !!!

मन बेहद दुखी है पंजाब की ट्रेन दुर्घटना को लेकर जिसमें पचास से भी ज्यादा लोगों के मरने की पुष्टि की जा रही है। राजनैतिक आरोप प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया क्या यह सही समय है एक दूसरे को नीचा दिखाने का या मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त करने का ? सिद्धू की पत्नी जगह पर रही हों या नही यदि जगह पर थीं भी तो क्या वह हादसे को रोक लेतीं? कैसे वह जबाबदार ठहराई जा सकतीं है क्या दुर्घटना को उन्होंने आमंत्रण दिया था?

अरे नेतागण संवेदनशील बनिये कमाई और पार्टी भक्त बनकर जनता के साथ छल मत कीजिए कुछ तो जमीर को जिंदा रहने दीजिए। उस बेटे का क्या जिसका बाप हमेशा के लिए तस्वीर बन गया उस नवयुवती का क्या होगा जिसकी चंद दिनों पहले शादी हुई थी उस बाप का क्या होगा जिसका एकलौता सहारा छिन गया?  घिन आती है ऐसी घटनाओं पर राजनीति चमकाने वालों से।
उन नेताओं का जूते मारकर स्वागत करें जो इस हृदय विदारक घटना में भी राजनीति करें। सभी चैनल जुट गए।हैं कि कमी कहाँ थी? अगर आप इतना ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं तो हादसे के पहले वहाँ की कमियों को उजागर करने का भी काम आप का था चूक आपसे भी हुई है मीडिया का भी कर्तव्य बनता है कमियों को पटल पर लाने का। बाद में तो कोई भी कमियां उजागर कर सकता है पहले आप भी क्यो अनभिज्ञ रहे? 
नेता गण कृपया मृत एवं घायलों के परिजनों के दुःख में शामिल होकर।उनका जीवन कैसे सहज हो इस पर परिचर्चा कर उसका उपाय करें। ये पब्लिक है सब जानती है।

रिपोर्टर

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