गृहस्थ जीवन में भगवान की प्राप्ति सरल है - रामानन्द महराज

भदोही ।। जंगीगंज क्षेत्र के धनीपुर में आयोजित संगीतमय श्रीमदभागवत कथा में डा रामानन्द महराज ने कहा कि चारों आश्रम में गृहस्थ आश्रम के माध्यम से भगवतप्राप्ति संभव है। महराज ने कहा कि बोलना एक रोग है क्योकि लोग बोलने के चक्कर में पाप कर देते है। कहा कि बोलना है तो भगवान का जप करें, भजन करें, सच बोले व किसी के सहयोग में बोलें। आत्मा को दुख सुख का अनुभव नही होता और आत्मज्ञानी वही होता है जो दुख व सुख में समभाव रहता है। कहा कि पिछले 18 वर्षों से कथा प्रवचन कह रहा हूं शायद इतना समय केवल भगवतनाम के सुमिरन भजन में करता तो हो काफी अच्छा होता। लेकिन संसार में है तो कही न कही माया के चक्कर में तो पडना ही है लेकिन मायापति के शरण में हो जाने पर माया का प्रभाव नही पडता। कहा कि जैसे आकाश किसी से प्रभावित नही होता ठीक वैसे ही आत्मा संसार के माया और दुख सुख से प्रभावित नही होता है। ईष्या करने वाला, निंदा करने वाला, झूठ बोलने वाला, किसी को दुख देता है इन सभी को पाप का भागी बनना पडता है केवल भगवन्नाम से ही इस तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। वह बडा भाग्यशाली होता है जो संतों, बडे बुजुर्गों, असहाय, रोगियों और जरूरतमंदों की सेवा व सहयोग करता है उस पर भगवान की कृपा होती है। जो वेद मे कहा गया है वह ही धर्म है। वेद ही साक्षात् नारायण है। राम ने साक्षात् केवल एक अहिल्या को ही तारा जबकि रामनाम ने अनगिनत लोगों को तारकर मोक्ष प्रदान किया।

इस मौके पर अनिल कुमार, अरूण कुमार, अवनीश कुमार, रत्नेश कुमार, निखिलेश कुमार समेत काफी संख्या में लोग मौजूद थे।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट