नाइ वर्ग या समुदाय

नाइ समुदाय कई नामों से (नाइ ,नाऊ ,सेन ,सविता, शास्त्री ,नापित, नन्द )जाने जाता है। नाइ समुदाय बहुत ही सरल स्वभाव ,दूसरों को प्रसन्न करने वाला ,कोमल मध्यम वर्ग की जाती है। समाज में प्राचीन दिनोंमें  राजा -महाराजाओं के समय से लेकर आज तक संस्कार के कार्यों की उत्पति  से लेकर समाप्ति तक पूर्ण योगदान करता है। मानों उस संस्कार का पूरा नेतृत्व सपरिवार जिम्मेदारी और वफ़ादारी के साथ निर्वाह करता है। यह वर्ग हर समुदाय के घर ,परिवार के आचरण,व्यवहार से परिचित होता है। इसलिए अपने को उनके साथ सामंजस्य स्थापित कर चलता है। दूसरे शब्दों में  कह सकते है। कि  "ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर "यह कहावत विशेषकर इस समुदाय के लिए चरितार्थ होता है। नाइ और नाऊ -एक बार भगवान बुद्ध जी तपस्या कर रहे थे। उन्होंने अन्न -जल सब छोड़ दिए था । तार -तार  सब जीर्ण हो चूका था ,शरीर जर्जर हो चूका था। उठ -बैठ नहीं सकते थे चलना तो दूर की बात थी। एक दिन भगवान ध्यान में लीन थे तभी  नर्तकियों का झुण्ड उधर से गुजर रहा था। उसमे से एक नर्तकी बोली " वी

णा के  तार  को इतना ना कसो की  टूट ही जाय ,दूसरी नर्तकी  बोली की इतना भी ना कसो की उसमे से स्वर न निकले।"  भगवान ने इस बात को सुनकर कहा की इस काया को इतना कास्ट देना उचित नहीं है। क्योकि यह अतिवाद है और अतिवाद के कारण मेरा यह शरीर ही न रहा तो किस माध्यम से मै ज्ञान प्राप्त करूँगा। और उन्होंने अतिवाद को त्याग कर मध्यम  मार्ग का अनुशीलन किया। और  भिक्षुओं को  आदेश - दिया की संसार में दो अतिवाद है। धार्मिक व्यक्ति को बचना  चाहिए।प्रथम सुख -अयोग्य ,अपवित्र ,अनैतिक अवास्तविक। द्वितीय -काया क्लेश का जीवन अंधकारपूर्ण ,अयोग्य व मिथ्या है। इन सभी से परे होकर मध्यम  मार्ग अपनाना चाहिए। और उन्होंने कहा ना -ई और ना -उ। उसी बौद्ध धर्म का अनुशरण कर उस समय के इस समुदाय के लोग मध्यम मार्ग को चुने। वैसे इस समुदाय की जो पृष्ठभूमि है की किसी भी संस्कार का नेतृत्व जिम्मेदारी वफ़ादारी से समाज के लोगों को एक विशेष स्थान पर संगठित कर अपनी बात को सरल भाव से प्रस्तावित  करना है। वैसे हम अंग्रेजियत को मद्देनजर देखते हुए हम Now  and Noun  पर विचार करते है। तो हमें स्पष्ट होता है की -Now का है  अर्थ होता अबअर्थात वर्तमान ,वैसे नाऊ -Now =N= NET, O=Organization और   W= Work,अर्थात Net Organization of Work,इसे स्पष्ट होता है की जो समुदाय अपने कार्य के माध्यम से व्यक्ति लोगो का समूह बना दें और लोगों को एक सूत्र में पिरोय दे उस समुदाय को नाऊ (NOW )कहते है। 

NOUN -नाउन =संज्ञा होता है। Deffination of Noun -Noun is the name of person ,place or things इससे यह ज्ञात होता है की संसार में जो भी दृश्य अदृश्य वस्तुएं है सब नाउन है। नाइन (Nine )नाइन =नव  अर्थात जिसमे नए कार्यो का सृजन करता है..वैसे नाइन का अर्थ ९ है।  ज्योतिष शास्त्र के माध्यम  से प्रमुख और महत्वपूर्ण अंक होता है। परन्तु समाज के लोग इन्हे हे दृष्टि से देखते है। जब उन दिनों अस्पताल नहीं थे। तो यही  समुदाय उन भावी नागरिको को जन्म दिलाने से लेकर पालन -पोषण भी करती  थी की आज भी  समाज में जैसा देखने को मिलता है। कभी -कभी भी देखने को मिलता है की उस बच्चे को अपना स्तनपान करा कर उसकी छुधा पूर्ति करतीं हैं लेकिन जब होश संभालता है तब वह व्यक्ति समाज के इस समुदाय को अपशब्दों का बौछार करता है। जो सम्मान इन्हे माता -पिता ,दादा -दादी की तरह मिलाना चाहिए न मिलकर एक घृणित गुलाम की तरह मिलता है समाज में अपरिहार्य का के थपेड़े लगते है। जिसके कारण यह समय यह समाज बौद्ध धर्म की तरफ उत्कृष्ट हुआ है। जब हम महात्मा बुद्ध के अनुयायी थे तो हमारा इतिहास गौरव शाली था। हमारा यह समाज बहुत से महान  योद्धा ,संत ,ऋषि ,विनय सभा के नायक संत अर्हत उपलि जी ,एकरात ,सर्वक्षत्रांतक अनुलान्घत प्रथम चक्रवर्ती शूद्र सम्राट -महापद्मनंद, संतश्री  सेन जी महाराज,महर्षि चरक ,ऋषि सविता जी को अपनी गोंद में पैदा किया

प्रकृति ने इस समुदाय को इन महानपुरुषो से अलंकृत किया है। इन सभी महापुरुषों के जीवनी को अपने आचरण में लाना चाहिए और भारत के  समस्त नागरिको को गर्व होना चाहिए। जिससे सम्पूर्ण भारत इनके प्रकाश से प्रकाशवान हो सके। 

  

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