आंगनबाड़ी केंद्रों पर हुई गोदभराई की रस्म, बच्चों का कराया गया अन्नप्राशन



चकाई से अनिल वर्मा की रिपोर्ट


 चकाई आंगनबाड़ी केन्द्र सुंदरी (कासजोर) वार्ड नंबर 3 केंद्र संख्या 237 पर अन्नप्राशन व गोदभराई के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आंगनबाड़ी व वार्ड सदस्य  टोला सेवक गांव आंगनबाड़ी केंद्रों पर हुई गोदभराई की रस्म, बच्चों का कराया गया अन्नप्राशन


चकाई. प्रखंड के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन व गोदभराई के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आशा आंगनबाड़ी व गांव की अन्य महिलाओं के साथ गर्भवती व धात्री महिलाओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में बच्चों के जन्म के समय गाये जाने वाले सोहर गीत गाए गये। अन्नप्राशन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समय से बच्चों में ऊपरी आहार की शुरूआत करना और गांवों में लड़को व लड़कियों के बीच के भेदभाव की भावना को समाज से दूर करना है।


पोषण के बारे में दी गई जानकारी


इस कार्यक्रम को आयोजित करने का उद्देश्य सही पोषण की जानकारी भी देना है, जिससे मां व बच्चा दोनों तन्दुरुस्त हो। आईसीडीएस (समन्वित बाल विकास कार्यक्रम) की इस योजना के अन्तर्गत केन्द्रों पर 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, धात्री व गर्भवती महिलाओं को अनुपूरक पुष्टाहार की सेवाएं प्रदान की जाती है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर लाभार्थियों को स्वास्थ्य, पोषण एवं स्वछता के बारे में जानकारी देकर उन्हे जागरूक किया जाता है।


क्यों मनाते हैं अन्नप्राशन


सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों पर यह विशेष आयोजन कई मकसदों से किया है। कार्यक्रम का मकसद है कि मां के दूध के साथ अर्द्धठोस और ठोस आहार की आवश्यकता और इस सम्बन्ध में परिवार एवं समुदाय के सदस्यों को जागरूक किया जाए। इसके साथ ही कार्यक्रम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि उन सभी शिशुओं को, जो 6 माह के हो चुके है, अन्न देना शुरू कर दिया जाए। अन्न प्राशन के दिन कार्यकर्ता चतुरंगी आहार (लाल, सफेद, हरा व पीला) जैसे गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पादों को बच्चों को खिलाते हैं। तरल व पानी वाला भोजन जैसे दाल का पानी या माड़ आदि न देकर उतना ही अर्धठोस आहार दिया जाता है, जितना बच्चे खा सकें। धीरे-धीरे भोजन की मात्रा, भोजन का गाढ़ापन बढाए जाने की सलाह दी जाती है।


महिलाओं की हुई गोदभराई


इसके आलावा आंगनबाड़ी सेन्टर पर 7 से 9 माह की गर्भवतियों की गोदभराई की रसम भी पूरी की गई। इसमें गर्भवतियों को सतरंगी थाली व अनेक प्रकार के पौष्टिक भोज्य पदार्थ जैसे- अनाज, दूध, फल, दाले, हरी साग पीली सब्जियां व अन्य चीजें दी गयीं। कार्यक्रम के दौरान चुनरी ओढ़ाकर परम्परागत तौर से टीका लगा कर महिला की गोदभराई की रसम पूरी हुई। साथ ही सभी महिलाओं को यह जानकारी भी दी गई की पोषण जैसे एक गर्भवती महिला के लिए जरूरी है वैसे ही सभी महिलाओं के लिए भी जरूरी है।


गर्भावस्था के दौरान आहार


महिलाओं को जानकारी दी गई कि भोजन दिन में तीन बार खाएं औऱ डेढ़ गुना ज्यादा खाए। खाने में अनेक प्रकार के भोज्य पदार्थ जैसे- अनाज, दूध, फल, दाले, हरी साग-सब्जी, घी व अन्य चीजें भी खाएं। दिन में कम से कम 10 घण्टे की नींद ले। कोई भी भारी वस्तु न उठायें।


 अन्य महिलाओं के साथ गर्भवती व धात्री महिलाओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में ढोलक की थाप पर बच्चों के जन्म के समय गाये जाने वाले सोहर गीत गाए गये। अन्नप्राशन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समय से बच्चों में ऊपरी आहार की शुरूआत करना और गांवों में लड़को व लड़कियों के बीच के भेदभाव की भावना को समाज से दूर करना है।


पोषण के बारे में दी गई जानकारी


इस कार्यक्रम को आयोजित करने का उद्देश्य सही पोषण की जानकारी भी देना है, जिससे मां व बच्चा दोनों तन्दुरुस्त हो। आईसीडीएस (समन्वित बाल विकास कार्यक्रम) की इस योजना के अन्तर्गत केन्द्रों पर 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, धात्री व गर्भवती महिलाओं को अनुपूरक पुष्टाहार की सेवाएं प्रदान की जाती है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर साप्ताहिक पुष्टाहार वितरण दिवस के लिए  लाभार्थियों को स्वास्थ्य, पोषण एवं स्वछता के बारे में जानकारी देकर उन्हे जागरूक किया जाता है।


क्यों मनाते हैं अन्नप्राशन


सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों पर यह विशेष आयोजन कई मकसदों से किया है। कार्यक्रम का मकसद है कि मां के दूध के साथ अर्द्धठोस और ठोस आहार की आवश्यकता और इस सम्बन्ध में परिवार एवं समुदाय के सदस्यों को जागरूक किया जाए। इसके साथ ही कार्यक्रम का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि उन सभी शिशुओं को, जो 6 माह के हो चुके है, अन्न देना शुरू कर दिया जाए। अन्न प्राशन के दिन कार्यकर्ता चतुरंगी आहार (लाल, सफेद, हरा व पीला) जैसे गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पादों को बच्चों को खिलाते हैं। तरल व पानी वाला भोजन जैसे दाल का पानी या माड़ आदि न देकर उतना ही अर्धठोस आहार दिया जाता है, जितना बच्चे खा सकें। धीरे-धीरे भोजन की मात्रा, भोजन का गाढ़ापन बढाए जाने की सलाह दी जाती है।


महिलाओं की हुई गोदभराई


इसके आलावा आंगनबाड़ी सेन्टर पर 7 से 9 माह की गर्भवतियों की गोदभराई की रसम भी पूरी की गई। इसमें गर्भवतियों को सतरंगी थाली व अनेक प्रकार के पौष्टिक भोज्य पदार्थ जैसे- अनाज, दूध, फल, दाले, हरी साग पीली सब्जियां व अन्य चीजें दी गयीं। कार्यक्रम के दौरान चुनरी ओढ़ाकर परम्परागत तौर से टीका लगा कर महिला की गोदभराई की रसम पूरी हुई। साथ ही सभी महिलाओं को यह जानकारी भी दी गई की पोषण जैसे एक गर्भवती महिला के लिए जरूरी है वैसे ही सभी महिलाओं के लिए भी जरूरी है।


गर्भावस्था के दौरान आहार


महिलाओं को जानकारी दी गई कि भोजन दिन में तीन बार खाएं औऱ डेढ़ गुना ज्यादा खाए। खाने में अनेक प्रकार के भोज्य पदार्थ जैसे- अनाज, दूध, फल, दाले, हरी साग-सब्जी, घी व अन्य चीजें भी खाएं। दिन में कम से कम 10 घण्टे की नींद ले। कोई भी भारी वस्तु न उठायें।

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