क्या हो रही है नव अभियान पार्ट 2 की तैयारी ?

                     "संस्थाओं का काला सच"


मुंबई ।। चुनाव नजदीक है, समाज के नाम पर रोटियां सेंकने वाले क्रियाशील हो चुके हैं जरूरत है तो समाज बंधुओं के सावधान रहने की जैसा कि पिछली खबर के माध्यम से आप सभी को यह अवगत हुआ कि किस तरह चुनावी सरगर्मी में तथाकथित नेता समाज के नाम पर खुद के व्यापार को चमका रहे हैं। समाज के पाठकों को एक संस्था का नाम ध्यान में दिलाना चाहूंगा जिसने पिछले लोकसभा चुनाव के पहले ही अपनी नींव रखी थी जो आज मृतप्राय हो चुकी है।


नव अभियान नामक संस्था भी समाज बंधुओ को एकत्रित कर एक मंच पर लाने के लिए बनाई गई थी ठीक उसी तरह जिस तरह आगामी 10 मार्च को संगम की तैयारी है। नव अभियान संस्था में समाज के अनेकों लोगों को विश्वास में लेकर विजय उपाध्याय के नेतृत्व में खड़ा किया गया था जिसमें वह अध्यक्ष भी बने। साथ ही विजय मिश्रा, नवीन सिंह, रोहित शुक्ला, अरविंद मिश्रा (दोनों बिल्डर व समाजसेवक), सी पी मिश्रा, पप्पू सिंह, राजेन्द्र सिंह, मुकेश झा, संजय मिश्रा, बबलू पाण्डेय, संदीप तिवारी, आशीष सिंह समेत एक लंबी फेहरिस्त है जो लोग बुलंद हौसले के साथ इस संस्था के प्रादुर्भाव में अथक परिश्रम कर इसे आगे बढ़ाया था।

संस्था जो तमाम उद्देश्यों जिसमे समाज को संगठित करना, समाज के सुख दुख में शामिल होना, गरीब तबके के विद्यार्थियों को शिक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराना, बेसहारा लोगों को संस्था के माध्यम से नई दिशा देना, कल्याण में समुचित स्वास्थ सुविधा उपलब्ध कराने, चुनाव में केवल एक उत्तर भारतीय को सपोर्ट करने जैसे सैकड़ो उद्देश्य लेकर यह संस्था बनी और नाच गाने, बाटी चोखा, मान सम्मान के साथ शुरू हुई। यह भी बताना चाहूंगा कि एक बार संस्था द्वारा नेक काम भी किया गया और सिलाई मशीन भी जरूरतमंदों को बांटी गई।

लेकिन यह संस्था केवल अब वर्षगांठ मनाने तक ही सीमित रह गयी। संस्था में अध्यक्ष चुनाव के समय की छीछालेदर भी किसी से छुपी न रह सकी और किसी भी उद्देश्य की पूर्ति ना करते हुए लगभग संस्था मृतप्राय सी हो चली है।

इस संस्था के विषय मे इतना विस्तार से बताने का मतलब यही है कि केवल संस्था का नाम बदला है। (शरीर बदली लेकिन चोला वही)। 

बुधवार को 10 मार्च के कार्यक्रम के लिए उत्तर भारतीय समाज के संगम के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमें एक हथेली की पांच अंगुली पर गिनती करने भर के पत्रकार भी उपस्थित नही थे, हैरतअंगेज यह था कि नव अभियान संस्था के ही अधिकतर पदाधिकारी इस तथाकथित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे जिनमें विजय उपाध्याय, विजय मिश्रा, नवीन सिंह, मनोज पांडेय आदि लोग उपस्थित थे जो कि नव अभियान के भी अभिन्न अंग थे। तो क्या नव अभियान पार्ट 2 की तैयारी केवल नाम बदल कर तो नही चल रही इसका जबाब समाज की जनता को देना है क्यों कि उपरोक्त व्यक्ति तो जबाब देने में असमर्थ ही साबित होंगे?
क्या ऐसी कमी नव अभियान में थी जिसके कारण दूसरे नाम को पकड़ना पड़ा? अगर नव अभियान सफल नही रहा तो फिर से क्यों समाज के समय और भावनाओं से खिलवाड़ करने की कोशिश की जा रही है ?

बुधवार को हुए तथाकथित पत्रकार परिषद को देखकर सहज ही यह स्मरण हो आया कि यह नव अभियान पार्ट 2 ही है भले ही कितनी भी सफाई पेश की जाय। फिलहाल इसमें बताया गया कि समाज को एकत्रित करना है, सुख दुख में साथ देना है और फिर मुद्दे की बात हुई कि समाज का जो भी प्रत्याशी टिकट पाएगा उसका समर्थन करना है। बहुत ही सुंदर उद्देश्य है। लेकिन एक बार गिरेबान में झांकने की जरूरत भी है कि क्या समाज के लोगों के साथ नए मंच पर मंचासीन होकर आप सब न्याय कर रहे हैं या समाज बंधुओं को चुनाव आते ही एक बार फिर से लपेटे में लेने की तैयारी कर रहे हैं? 

ऐंन चुनाव के मौकों पर इस तरह के संगम कहीं न कही अन्य समाज के लोगों के सामने हमारे समाज को नीचा दिखाते हैं यह तब अनुचित न होता जब किसी पिछली संस्था के माध्यम से कार्यक्रम आयोजित किया जाता। यह समाज बंधुओं के साथ साजिश चल रही है जिससे उनके विकास के अवसर बाधित कर स्वयं का उल्लू सीधा किया जा सके। अगर समाज को एक सूत्र में पिरोना है तो अन्य संस्थाओं को विश्वास में लेकर उन्ही के बैनर तले काम करने में क्या हिचक थी ? जब आप उन्हें ही एक नही कर सकते तो समाज को कैसे एक करेंगे? समाज मे नए लोग तो आ नही गए? सभी वही हैं तो नया चोला क्यों धारण कर रहे हैं ? लेकिन तब महत्वाकांक्षा कैसे पूरी होगी यह सबसे बड़ा रोड़ा है। समाज के नाम का दुरुपयोग बंद करें ।


अब समाज के लोग ही यह साफ करें कि यह नव अभियान पार्ट 2 है या नही। केवल अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए समाज का दुरुपयोग करने का अधिकार समाज ने किसी को भी नही दिया है। बुधवार को सोसल मीडिया पर भी हिंदी समाचार के पक्ष में लोगों ने अपना समर्थन व्यक्त किया वहीं कुछ लोगों ने भारी भरकम पोस्ट डालकर ऐसे लोगों को सचेत भी किया है। समाज समझदार है अपना अच्छा और बुरा भलीभांति समझता है, जमीनी स्तर पर कार्य करने के बाद समाज मे झंडा लेकर खड़े होने की कोशिश करें अन्यथा मुँहतोड़ जबाब के लिए भी तैयार रहें। साथ ही यह भी सवाल करें कि नव अभियान के सामाजिक कार्यों का लेखाजोखा कब प्रस्तुत किया जाएगा?

हिंदी समाचार समाज के लोगों के लिए हमेशा तत्पर रहेगा जब भी समाज के साथ साजिश होगी।

अगले अंकों में पढ़े और अधिक खुलासा 

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