कल्याण में समाज के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने की होड़

- भाजपा बाहुल्य नेताओं की मंच पर कृपाशंकर सिंह हैं अतिथि, उनके तोड़ में आरएन सिंह को भी न्योता 

- महिला व बाल विकास राज्यमंत्री विद्या ठाकुर से न्याय की है आस, दर-दर की ठोकर खा रही एक महिला मांग सकती मदद।

- बिना पूर्व अनुमति लिए कई अतिथियों का निमंत्रण पत्र में नाम!

- समाज के अन्य वर्गों को किया गया नजरअंदाज

- नेताओं को उत्तर भारतीय समाज के लोगों का समर्थन दिखाने के लिए कई सामाजिक संस्थाओं के नाम का उपयोग, अब कुछ सामाजिक संस्था का विरोध

कल्याण : उत्तर भारतीय समाज को एकजुट करने के नाम अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए कल्याण में 10 मार्च को एक कार्यक्रम किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार,  इस कार्यक्रम के निमंत्रण पत्र में जितने अतिथियों का नाम है, उसमें से कई लोगों से कार्यक्रम रखने से पहले अनुमति ही नहीं ली गई थी। अब निमंत्रण पत्र छपने के बाद अतिथियों को बुलाया जा रहा है और उनसे संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। निमंत्रण पत्र के कुछ अतिथि कल्याण में हो रहे विरोध को देखते हुए कार्यक्रम में आने से कन्नी भी काट रहे हैं।


इस कार्यक्रम में महिला एवं सामाजिक न्याय राज्य मंत्री श्रीमती विद्या ठाकुर के शिरकत करने की बात कही जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, कार्यक्रम स्थल पर उत्तर भारतीय समाज की एक विधवा बहू उनसे न्याय की गुहार लगा सकती है। इस पीड़िता के पति की हत्या कर दी गई है और उसके दो मासूम बच्चियां हैं। ससुराल वालों ने पति की हत्या के बाद से उसे और उसके दो मासूम बच्चियों को घर से निकाल दिया है। वह भूख हड़ताल पर भी बैठ चुकी है, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिला है। अब क्षेत्र में महिला व बाल विकास राज्य मंत्री आ रही है, तो उसमें भी न्याय की अलख जगी है। क्योंकि मंत्री भी महिला हैं और उसके दर्द को समझ सकती हैं। समाज के लोगों की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि मंत्री किस तरह उन्हें न्याय देंगी।

कार्यक्रम के आयोजकों में ज्यादातर भाजपा व शिवसेना समर्थित पदाधिकारी और कार्यकर्ता हैं। इसीलिए कार्यक्रम के उद्देश्य पर सत्ताधारी पार्टी का छाप दिखने लगा है। इस कार्यक्रम में पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कृपाशंकर सिंह और पूर्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक  के भी आने की बात कही जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, जब कार्यक्रम में भाजपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं का बोलबाला है, तब ऐसे में कार्यक्रम में मोदी मोदी के नारा भी लग सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो कृपाशंकर सिंह और नवाब मलिक के लिए असहज की स्थिति होगी। राष्ट्रवादी के स्टेट लीडर पारसनाथ तिवारी पहले ही प्रेस कांफ्रेंस के जरिये इस कार्यक्रम का विरोध कर चुके हैं।

कृपाशंकर के आने की उम्मीद कम ??

एक समय कृपा शंकर सिंह और आर एन सिंह एक दूसरे के जिगरी दोस्त थे, लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते दोनों नेताओं में  अब नहीं बनती है। समाज के दोनों नेताओं  में से किसी एक को कार्यक्रम में बुलाया जा सकता था, लेकिन कुछ लोगों ने जानबूझकर अंतिम समय में पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह का नाम डाला है। चूंकि लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। कृपाशंकर सिंह बड़े नेताओं में से एक हैं, इसलिए उनके आने की उम्मीद कम बताई जा रही है।

आरएन सिंह का हो सकता है विरोध

कुछ महीने पहले एक उत्तर भारतीय पत्रकार को न्याय दिलाने के लिए उत्तर भारतीय महापंचायत ने
बीजेपी नेता आरएन सिंह का विरोध किया था, लेकिन अब तक उक्त पत्रकार को न्याय नहीं मिला है। अपने समाज के पत्रकार को नीचा दिखाने वाले नेता उत्तर भारतीय समाज का नेता कैसे हो सकते हैं? सूत्रों के मुताबिक,इसी बात को मुद्दा बनाकर उत्तर भारतीय महापंचायत कार्यक्रम में उनका विरोध कर सकता है।

कोई नहीं, तो विनय शुक्ल ही सही

सूत्रों के मुताबिक, कार्यक्रम में शिवसेना के बड़े नेता को बुलाने की तैयारी थी, लेकिन किसी ने हामी नहीं भरी, इसलिए पिछले दिनों शिवसेना उत्तर भारत के समन्वयक विनय शुक्ला को बुलाया जा रहा है। वैसे पिछले चुनावों में अपनी कमजोरी दिखाकर पहले से ही समाज का कोपभाजन हो चुके हैं।

कल्याण में समाज का एक बड़ा तबका नाराज

समाज का एक बड़ा तबका समाज के नाम पर हो रहे इस कार्यक्रम से अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहा है क्योंकि केवल ब्राह्मण क्षत्रियों का ही ध्यान रखकर इस कार्यक्रम को किया जा रहा है। अन्य तबकों के नेताओं व समाजसेवियों को न तो निमंत्रण पत्रिका में जगह मिली है, न ही मीटिंग में उन्हें आमंत्रित किया गया है।

कार्यक्रम को लेकर नहीं हुई कोई बात

कल्याण पूर्व में समाजसेवा में कई दशको से सक्रिय समाज के अगुवा लोगों को न ही विश्वास में लिया गया न ही निमंत्रण पत्रिका पर इन्हें जगह दी गयी। विजय पंडित, आर बी सिंह, रामचंद्र पाण्डेय, पारसनाथ तिवारी, सदानंद तिवारी आदि कई ऐसे समाज के अगुवा है जिन्हें निमंत्रण पत्रिका पर कोई स्थान नही दिया गया। इससे नाराज सुनील मिश्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये बताया कि समाज के लोगों को जोड़ने की तैयारी नही हो रही है अपितु पूरी तरह समाज को नीचा दिखाने और गुमराह करने की साजिश है। बिना वरिष्ठों के सम्मान के कार्यक्रम किया जा रहा है। वे समाज मे दशकों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं।  उन्हें ही नजरअंदाज कर समाज को एकत्रित करने का ड्रामा किया जा रहा है। 

उत्तर भारतीय संस्था आदर्श रामलीला मंडल के कार्याध्यक्ष अजय तिवारी ने बताया कि इस कार्यक्रम से पहले उनसे किसी भी तरह का विचार विमर्श न करते हुए दशकों पुरानी संस्था का नाम प्रयोग किया जा रहा है जो उन्हें मंजूर नही और न ही कुछ धन लोलुप आयोजकों के शामिल होने के कारण वह इस कार्यक्रम का समर्थन कर रहे हैं। वहीं सोसल मीडिया पर अन्य संस्थाओं ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार समाज की महिला जो न्याय के लिए समाज के लोगों के सामने अपनी फरयाद लेकर आना चाहती है उसे समाज का यह कार्यक्रम करने वाले ही किसी से मिलने नही देना चाह रहे हैं। विरोध समाज के कार्यक्रम का नही बल्कि अपनाई जा रही नीतियों का हो रहा है। आयोजकों में शामिल कुछ एक नेता तो सामान्य वर्ग से कन्नी काटते नजर आते हैं। वैसे केवल समाज के कुछ वर्गों से ही समाज नही होता समाज के अन्य वर्गों को भी उचित सम्मान के साथ कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाना चाहिए था।

क्यों हो रहा है विरोध

कार्यक्रम को समाज के नाम पर किया जा रहा है। इसमें जो भी आयोजक हैं, वे आने वाले लोकसभा, विधान सभा और केडीएमसी में चुनाव लड़ अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं। इसीलिए आयोजकों ने कल्याण के सभी समाजसेवियों को दरकिनार कर दिया, न तो कार्यक्रम के लिए राय ली और न ही उनसे संपर्क किया। उनका नाम भी छापने से गुरेज किया। कल्याण में कई सामाजिक संस्थाओं के होते हुए एक संस्था बनाई गई और उससे वरिष्ठ समाजसेवियों को दूर रखा गया। इसके बाद भीड़ जुटाने के लिए उन्हीं समाजसेवियों के संस्थाओं के नाम का इस्तेमाल किया गया। जब यह जानकारी समाज के लोगों तक पहुंची, तब विरोध होने लगा। सामाजिक संस्थाओं के लोगों का कहना है कि बिना उनके अनुमति और बातचीत किए संस्था के नाम का उपयोग किया जा रहा है।

बिना अनुमति क्यों हुआ संस्थाओं के नाम का उपयोग 


लोकसभा चुनाव सामने है, इसलिए अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और उम्मीदवारों के रजिस्टर में अपना नाम दर्ज करवा कर अच्छे अंक पाने के लिए कार्यक्रम में भीड़ जुटाने का जुगाड़ किया जा रहा है। पहले आयोजक मंडली द्वारा अपने दम पर भीड़ जुटाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन जब बात नहीं बनी और आम उत्तर भारतीय से कोई संपर्क नहीं बना, तो उत्तर भारतीयों के सामाजिक संस्थाओं का निमंत्रण पत्र में नाम जोड़ दिया गया, जिससे अधिक से अधिक लोग आ सके। जब संस्था के लोगों ने विरोध करना शुरू किया, तो उन्हें समाज को एकजुट करने के नाम पर चुप रहने के लिए कहा जा रहा है। इस तरह से सामाजिक संस्था और उनके भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

जिससे समाज गुमराह न हो
शेष अगले अंक में

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