भदोही लोकसभा चुनाव, जातिगत राजनीति दलगत राजनीति पर पड़ रही भारी

रिपोर्ट-राम मोहन अग्निहोत्री 

ज्ञानपुर,भदोही।लोकसभा क्षेत्र में वर्ष 2019 के लिए होने जा रहे लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन प्रत्याशी में जहां सीधा मुकाबला होने जा रहा है वहीं कांग्रेस की जातिगत राजनीति ने दिलचस्प मोड़ ला दिया है जिससे संघर्ष त्रिकोणीय हो गया है। कहने को तो सभी प्रत्याशी अपनी जीत का दंभ भर रहे है लेकिन इसका सही आकलन चुनाव परिणाम आने के बाद ही हो पायेगा। भदोही लोकसभा सीट हमेशा से ही ‘चर्चा’ में रही है तो इस बार भी चर्चा में रहना लाजमी है। अभी यह सीट भाजपा के खाते में थी लेकिन चुनाव के बाद रमेश बिन्द इसे भाजपा के पक्ष में बरकरार रख पाते है कि नही उनके राजनीतिक कैरियर के लिए काफी दिलचस्प मोड़ साबित होने जा रहा है। वैसे भाजपा ने बडे जातीय समीकरण के गुणा गणित के बाद रमेश बिन्द पर विश्वास किया है। अब यह देखना है कि भदोही सीट को बचाने के लिए मतदाताओं को कितना रिझा पाते है रमेश बिन्द? वैसे जिले में ‘बाहरी’ की हवा इस बार काफी चर्चा में है। यदि यह हवा सच में चली तो ‘बाहरी’ प्रत्याशियों के लिए और कठिनाई होगी।रमाकान्त यादव ने भदोही में अपने पहले बयान से जहां पिछडी, दलित और अल्पसंख्यको को अपना समर्थक बताकर बाकी लोगो को परोक्ष रूप से विरोधी बताने का प्रयास किया। और यह स्ट्रोक रमाकान्त यादव के लिए काफी सफल दिखा और जिले के सपा के तथाकथित कुछ समर्थको ने सपा-बसपा प्रत्याशी रंगनाथ मिश्रा के साथ न होकर केवल ‘जातिवादी राजनीति’ के चक्कर में कांग्रेस के प्रत्याशी के साथ दिखाई दे रहे है। जो कल अपने को समाजवादी कहकर अपनी राजनीति चमकाते थे आज वे जातिवादी होकर सब कुछ भूल गये है। इसके पीछे एक बहुत बडा कारण गठबंधन की सीट में सपा को यह सीट न मिल कर बसपा के खाते में मिली सीट होना बताया जाता है।

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