बूंद-बूंद पानी की कीमत को समझना होगा

जौनपुर (अर्जुन शर्मा)जागरुक लोगों को बूंद-बूंद पानी की कीमत को समझना होगा। आवश्यकता से अधिक पानी के अपव्यय को रोकना होगा। यह तभी संभव हो सकेगा जब अपने दिमाग में घर कर चुकी बात 'अकेले हमारे पानी बचाने से क्या होगा' को निकालेंगे, क्योंकि बूंद-बूंद से ही तो घड़ा भरता है।

जिले के 14 ब्लाक भूजल की समस्या से ग्रस्त हो चुके हैं, जबकि नगरीय इलाके में पहले से ही पानी का संकट है। बावजूद इसके भूजल संरक्षण के उपायों पर गौर नहीं किया जा रहा है। इससे दिनों-दिन समस्या विकट होती जा रही है, जो गर्मी के इन दिनों में मुश्किलें और बढ़ा दी है। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है कि कुछ गांवों और नगरीय इलाके के अधिकतर मोहल्लों में कतार लगाकर पानी लेना पड़ता है। लोग सप्लाई के पानी का इंतजार करते हैं लेकिन इनका आरोप रहता है कि पानी पीने योग्य नहीं है। कई बार इसे लेकर हो हल्ला भी मचता है। सच कहें तो जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसका खामियाजा लोगों को भविष्य में और भुगतना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए कि गर्मी के इनदिनों में प्यास बुझाने के लिए लोगों को पसीना बहाना पड़ रहा है। वजह भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। नतीजन अधिकांश हैंडपंप शोपीस बनकर रह गए हैं। यहां तक की अपने अस्तित्व को लेकर संघर्ष कर रहे कुआं और तालाब मरणासन्न हालत पहुंच गए हैं। इसे बचाने की जहमत कोई नहीं उठा रहा है। अब तो ऐसा लगने लगा है कि आने वाले समय में स्थिति और भयानक हो जाएगी।

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