पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन

जानिए सुषमा स्वराज का इतिहास....... 

नई दिल्ली(एजेंसी) ।। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज को एम्स में भर्ती कराया गया था. उनका हालचाल जानने केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन स्वास्थ्य मंत्री और नितिन गडकरी एम्स पहुंचे, लेकिन 11 बजकर 18 मिनट पर एम्स की ओर से उनकी निधन की जानकारी दी गई ।

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज का 67 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद मंगलवार रात दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था. एम्स पहुंचने के कुछ देर बाद ही डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. डॉक्टर्स ने बताया कि उनकी मौत कार्डिएक अरेस्ट की वजह से हुई है ।

सुषमा पिछले काफी समय से बीमार चल रही थीं और इसी वजह से उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. सूत्रों की मानें तो उन्हें हार्ट अटैक आने के बाद यहां लाया गया था. एम्स के पांच डॉक्टर्स की देख-रेख में उनका इलाज किया जा रहा था ।

पूर्व विदेश मंत्री को इससे पहले भी किडनी फेल होने की समस्या के चलते यहां भर्ती कराया गया था. साल 2016 में किडनी खराब होने के कारण उन्हें डायलिसिस पर रखा गया था. लेकिन ट्रीटमेंट के बाद उनकी हालत में सुधार आ गया था. इलाज के बाद से ही वह राजनीति में थोड़ा कम सक्रिय हो गई थीं ।

दिसंबर 2016 में सुषमा का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था. इसके अलावा वह डायबिटीज की पुरानी बीमारी से भी जूझ रही थीं. सुषमा करीब 20 साल से भी ज्यादा समय से डायबिटीज की पीड़ित थीं. डायबिटीज होने के बाद ही उनकी किडनी खराब हुई थी ।

हर साल किडनी की बीमारी के चलते लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. किडनी की बीमारी के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आते हैं, जब किडनी 60 से 65 प्रतिशत खराब हो चुकी होती है. इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है ।

सुषमा स्वराज के नाम कई कीर्तिमान हैं, जिसे अब देश याद करेगा. 1977 में जब वह 25 साल की थीं, तब वह भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं. वह 1977 से 1979 तक सामाजिक कल्याण, श्रम और रोजगार जैसे 8 मंत्रालय मिले थे. जिसके बाद 27 साल की उम्र में 1979 में वह हरियाणा में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनी थीं ।

सुषमा स्वराज के नाम ही राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी की पहली महिला प्रवक्ता होने का गौरव प्राप्त था. इसके अलावा सुषमा स्वराज पहली महिला मुख्यमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विपक्ष की पहली महिला नेता थीं ।

इंदिरा गांधी के बाद सुषमा स्वराज दूसरी ऐसी महिला थीं, जिन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला था. बीते चार दशकों में वे 11 चुनाव लड़ीं, जिसमें तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ीं और जीतीं. सुषमा सात बार सांसद रह चुकी थीं 

पंजाब के अंबाला छावनी में जन्मी सुषमा स्वराज ने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गई थीं. सुषमा स्वराज भारतीय संसद की प्रथम और एकमात्र ऐसी महिला सदस्या थीं, जिन्हें आउटस्टैंडिंग पार्लिमैण्टेरियन सम्मान मिला ।

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