कर्नाटक में प्लेज फॉर लाइफ - तंबाकू मुक्त युवा अभियान ’शुरू

बैंगलोर ।। राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (आरजीयूएचएस) के कुलपति ने राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़े युवाअेां से आव्हान किया कि वे कर्नाटका को तंबाकू मुक्त बनाने में सहभागी बने। इसके लिए प्रदेश को तंबाकू मुक्त बनाने के लिए विभिन्न गतिविधियों को इन युवाअेंा के द्वारा संचालित किया जायेगा। कुलपति मंगलवार को आरजीयूएचएस की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) द्वारा नारायण हेल्थ सिटी, बेंगलुरु और संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के सहयोग से धनवतंरी हाल में कर्नाटका में तंबाकू नियंत्रण के लिए प्लेज फॉर लाइफ - तंबाकू मुक्त युवा ’अभियान के आगाज अवसर पर आयेाजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय का काम शैक्षणिक गतिविधियों के अलावा राष्ट्रीय सेवा येाजना के द्वारा सामाजिक गतिविधियों को भी शुरु किया है। इसमें खासतैार पर प्लेज फॉर लाइफ - तंबाकू मुक्त युवा ’अभियान शामिल है। इस तरह के अभियान के दुरगामी परिणाम आंएगे। भारत में तंबाकू का विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल होता है, जिसमें बीड़ी, सिगरेट,गुटखा चबाना इत्यादि शामिल है। यंहा पर काफी कम उम्र से ही बच्चे व विद्यार्थी कम उम्र से ही तबाकू उत्पादों का सेवन शुरु कर देते है। वे इसकी गिरफत से बाहर नही नही निकल पाते। जैसा कि डा.देवी शेटटी ने कहा कि एक बार तंबाकू का सेवन इसकी लत लगाने के लिए काफी है। हालंाकि सभी जानते है कि तंबाकू हानिकारक है, इसके दुष्प्रभाव के बारे में कई माध्यमेां से प्रचार प्रसार किया गया है, फिर भी युवा वर्ग इसका सेवन कर रहा है। तंबाकू सेवन से कई तरह की जानलेवा बीमारिया होती है। 

तंबाकू न करने की ली शपथ 

इस कार्यक्रम के दौरान कुलपति ने सभी शिक्षकों और छात्रों ने तंबाकू विरोधी शपथ दिलाई कि वे अपने जीवन में कभी भी तंबाकू को नहीं छूएंगे और अपने परिवार और दोस्तों को ऐसा ही करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। 

2017 के ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस) के अनुसार, कर्नाटक में 1.03 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें 90 प्रतिशत उपयोगकर्ता अपनी किशोरावस्था में तंबाकू का उपयोग शुरू करते हैं।

इस कार्यशाला का मुख्य फोकस युवाओं के बीच तंबाकू की खपत को रोकने के लिए तंबाकू की महामारी के बारे में एनएसएस कार्यक्रम अधिकारियों और स्वयंसेवकों को जागरूक करना था। 

इस कार्यक्रम में कर्नाटका के 100 महाविद्यालयों से एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी और स्वयंसेवकों ने भाग  लिया । कार्यशाला में आरजीयूएचएस के सभी कॉलेजों के लिए एक कार्य योजना विकसित की गई। जिसके तहत वे अपने कॉलेजों को तम्बाकू मुक्त बनाने से रोकने के साथ-साथ अन्य तंबाकू विरोधी गतिविधियों जैसे प्लेज फॉर लाइफ, नुक्कड़ नाटक, पोस्टर और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं का आयेाजन भी करवाएंगे। इसके लिए विस्तार से कार्ययेाजना तैयार की गई है।

नारायण हेल्थ सिटी, बेंगलुरु के कैंसर सर्जन और वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटी वी) के संरक्षक डॉ. विवेक शेट्टी ने कहा “युवाओं में बहुत अधिक ऊर्जा है और इसे सही दिशा में प्रसारित करना चाहिए। हमारा समाज एक स्वस्थ समाज हो सकता है यदि हमारे युवा तंबाकू जैसे उत्पादों के शिकार नहीं हों। तंबाकू का सेवन कर ये युवा केवल मृत्यु और विकलांगता के शिकार बन रहे हैं। 90प्रतिशत मुंह के कैंसर तम्बाकू सेवन के कारण होते हैं ”। उन्होंने आगे कहा कि एनएसएस युवाओं को तंबाकू के इस्तेमाल से रोकने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। हर साल कर्नाटक में 563 लोगों  की मौत तंबाकू जनित  बीमारियों से होती है। साथ ही बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां के 293 बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू करते हैं। दुर्भाग्य से, 50 प्रतिशत से अधिक मौखिक कैंसर के रोगी जो सर्जरी से गुजरते हैं, वे एक वर्ष से अधिक नहीं जी पाते ।

कर्नाटक के एनएसएस के क्षेत्रीय निदेशक केवी खदिरनार सिम्हैया ने कहा, “हमारी भावी पीढ़ियों को तंबाकू से बचाना बहुत महत्वपूर्ण है। युवाओं को तंबाकू विरोधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। कर्नाटक में, 3000 से अधिक एनएसएस इकाइयां हैं और 3.7 लाख स्वयंसेवक । ये स्वयंसेवक इस अभियान को कर्नाटक के सभी विश्वविद्यालयों में ले जाएंगे। मुझे विश्वास है कि इससे तंबाकू के प्रसार में कमी आएगी। ”

कार्यशाला में बोलते हुए आरजीएचयूएस के एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक प्रोफेसर बसंता वी.शेट्टी ने कहा, “हमारे आरजीएचएस में 175 एनएसएस इकाइयाँ हैं, जिनमें  17,000 स्वयंसेवक काम कर रहे हैं। इस अभियान से युवाअेंा को तंबाकू व अन्य धूम्रपान की लत से बचाया जा सकेगा। इसमें एनएसएस महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। तंबाकू का सेवन एक सामाजिक बुराई है, जिसके चलते कर्नाटक में यह बुराई हर साल 56,000 लोगों की जान ले रही है, हमें इससे छुटकारा पाने के लिए काम करना चाहिए। तंबाकू विरोधी गतिविधियों जैसे प्लेज फॉर लाइफ, ड्राइंग और वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के आयोजन आदि से युवाओं में सकारात्मक सामाजिक व्यवहार में बदलाव आएगा। ”

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