बड़े धूमधाम से निकाला गया मोहर्रम का जुलूस

जौनपुर ।। सरपतहाँ थाना क्षेत्र के पट्टीनरेंद्रपुर मे मोहर्रम के पर्व पर मुस्लिम समुदाय के लोग मोहर्रम त्यौहार को बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं तथा गाजे-बाजे के साथ ताजिया लेकर कर्बला मैदान की तरफ दफनाने के लिए ले जाते हैं मुहर्रम का पर्व एक शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि मोहम्मद साहब के नाती हुसैन अपने 72 साथियों के साथ युद्ध में लड़ते लड़ते शहीद हो गए थे उसी के उपलक्ष में मुस्लिम समुदाय के लोग मोहर्रम का पर्व मनाते हैं। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बड़े धूमधाम से मनाया गया।

बताया जाता है कि मोहर्रम का त्यौहार एक शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसमें इस्लाम धर्म के प्रवर्तक मोहम्मद साहब के नाती हुसैन आजादी की जंग लड़ते लड़ते रणभूमि में वीरगति को प्राप्त किए उसी के उपलक्ष में जगह-जगह जुलूस निकाला जाता है। वहीं दूसरी जगह देखा गया कि पटैला, खुटहन, तिघरा, इमामपुर, गौसपुर, बिशनपुर, सराय मोहिउद्दीनपुर, शाहगंज, खेतासराय, जौनपुर में स्थित इमामबरगाहो और  इमामबाड़े में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ताजिया के साथ गाजे-बाजे से सज कर बड़े हर्ष के साथ जुलूस निकालते हुए ताजिया को दफनाने के लिए कर्बला मैदान की तरफ जाते हैं। मोहर्रम के पर्व के दिन लोग खतरनाक खेल जैसे छप्पन छुरी, आग के गोले में कूदना, खतरनाक आतिशबाजी करना आदि जैसे खतरनाक खेलो को खेलते हैं। इस के उपलक्ष में सभी बाजारों मैं मेले लगाए जाते हैं जहां पर छोटे छोटे नन्हे मुन्ने बच्चे स्वादिष्ट भोजन पदार्थों का आनंद उठाते हैं। यह पर्व ईद के बाद आता है। मुस्लिम समुदाय के लोग आज भी अपने इस्लाम धर्म के प्रवर्तक मोहम्मद साहब और उनके नाती पोते हुसैन को आज भी याद करते हैं। मोहर्रम का जुलूस निकालते समय "हाय प्यास हाय सकीना" के नारे लगाते हैं और  "हाय प्यास हाय सकीना" नारे से सभी छोटे बड़े बाजार, सड़कें, गलियां, महलों में जुलूस निकालते समय गूंज उठता है।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट