हिंदी दिवस पर विशेष अभिव्यक्ति

क्रिकेट विश्वकप में हिदीं कमेंटरी सुनकर आंनद आ रहा था,

हिदीं कमेंटरी के लिये लोग स्पेशल पैसे देकर सुन रहे थे।

पूरा विश्वकप का मजा आ गया,

जो भी हुआ खेल की जीत हुआ मगर दिल को बेहतर आनन्द आ गया।

हिदीं भाषा दक्षिण भारत में धीरे-धीरे पैर फैला रहा है,

जब चैन्नई रेलवे स्टेशन पर अक्सर हिदीं पत्रिका मिल जायेगी,

वहां के बुकस्टाल वाले ने बताया कि उत्तर भारत के लोगो को हिदीं पढ़ते देखकर यहां के तमिल युवा का रूझान थोडा़ बहुत हिदीं भाषा के लिये बढ़ रहा है।

जो राजभाषा हिदीं के लिये बहुत अच्छा खबर है।

14 सितम्बर को भारत हिदीं दिवस के रूप में मनाता है,

हिदीं की सम्मान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी बढा़ रहे है,

अक्सर विदेशी दौरे पर हिदीं भाषा का जिक्र करते और हमेशा प्रवासी भारतीय को हिदीं मे जरूर सबोंधित करते है।

नेपाल की हिदीं पत्रिका हिमालनी को पढकर ऐसा लगता है कि मानो नेपाल अपने दिल में है, कई बार हिमालनी ने मेरे लेख को अपने पत्रिका में विशेष स्थान दिया।

विदेश में बहुत से हिदीं भाषा के पत्रिका हिदीं की सम्मान बढा़ रहे है,

जो किसी भाषा के लिये गर्व की बात है।

अमेरिका न्यूयार्क से प्रकाशित पत्रिका हम हिन्दुस्तानी के सम्पादक जी के पत्रिका में कालम के लिये स्थान ही नही रहता है।

युवा भी साहित्य के तरफ रूचि ले रहा है,

 तभी हिदीं भाषा के पत्र-पत्रिकाओ के सम्पादक से पूछो उनका जवाब मिलता है कि " आजकल ईमेल और वाट्सअप खेलते ही रचनाओ की बौछार आ जाता है।

कभी गुस्सा आ जाता मगर दिल को सुकुन मिलता है कि आज के सोशल मिडिया दौर में हिदीं के प्रति लोगो की गहरा लगाव है।

हिदीं भाषा दिल को जोड़ने   वाली भाषा है,

बस कुछ राजनैतिक नजर में वोट का मामला हमेशा हिदीं भाषा का विरोध किया है।

जो आज मायने नही रखता है,

हिदीं जल की तरह अपनी मार्ग स्वय तय कर रही है

जो देश-विदेश में इसके प्रशंसक दिन- प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।


अभिषेक राज शर्मा

पिलकिछा जौनपुर उप्र०

 8115130965

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट