STET परीक्षा रद्द करने के खिलाफ अभाविप का एकदिवसीय धरना

ब्यूरो चीफ देवेन्द्र कुमार के साथ शक्ति प्रसाद शर्मा की रिपोर्ट

जमुई / झाझा ।। मंगलवार दिनांक 26 मई, 2020 को अखिल भारतीय विधार्थी परिषद्, बिहार प्रदेश के आह्वान पर एसटीइटी परीक्षा रद्द करने को लेकर बिहार राज्य सरकार के  खिलाफ एकदिवसीय राज्यव्यापी धरना का आयोजन किया गया। इस मौके पर झाझा इकाई द्वारा समाजिक दूरी का पालन कर स्थानीय कार्यालय के समक्ष नगर मंत्री रूपेश कुमार भारती की अध्यक्षता में धरना दिया गया व धरने के माध्यम से बिहार राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर आक्रोश व्यक्त करते हुए बोर्ड अध्यक्ष कि इस्तीफे की मांग की गई। इस मौके पर अभाविप के छात्र नेता धीरज कुमार ने कहा कि "माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा" रद्द करना बिहार के लाखों छात्रों के साथ खिलवाड़ है। आखिर BSEB के द्वारा रिजल्ट प्रकाशित होने के समय अचानक से परीक्षा रद्द किया जाना खुद BSEB, शिक्षा विभाग एवं बिहार सरकार के ही ऊपर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता। आज यह  सरकार शिक्षा, रोजगार, कृषि व स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास के नाम पर अपना ही पीठ थपथपाते दिख रहें हैं। जब सरकार अपने ही व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है तो बिहार वासियों का न्याय कैसे संभव है। परीक्षा समिति के अध्यक्ष द्वारा 15 मई तक हर हाल में रिजल्ट घोषित करने की बात कही गई थी। फिर अचानक से 16 मई को 4 सदस्य टीम के बारे में जानकारी देते हुए परीक्षा को रद्द करने की बात कही गई। जबकि परीक्षा समाप्त होने के बाद बोर्ड अध्यक्ष के द्वारा यह साफ तौर पर कहा गया कि ना तो कहीं पर परीक्षा का पर्चा लीक हुआ था और ना ही परीक्षा में किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार हुआ तो फिर क्या मजबूरी आई बिहार बोर्ड और बिहार सरकार को जो "अपरिहार्य कारणों" से परीक्षा को रद्द करना पड़ा। आभाविप STET की परीक्षा रद्द करने का निर्णय को गलत मानती है। इसलिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का सुविचारित मत है कि सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करें अन्याथा अभाविप छात्र विरोधी सरकार के खिलाफ चरणबद्ध तरिके से सड़क से सदन तक आंदोलन करने को बाध्य होगी। साथ ही प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य संतोष कुमार व सुरज कुमार ने कहा कि जब एग्जाम लिया गया तो सभी सेन्टर पर त्रीस्तरीय जांच की व्यवस्था की गई थी। प्रत्येक परीक्षा हॉल में जैमर (इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे- फोन, ब्लूटूथ के प्रयोग को रोकने वाला यंत्र) लगाया गया था। साथ ही जूता-चप्पल, घड़ी एवं बेल्ट छात्रों को गेट के बाहर ही खुलवा दिया जाना व एक बेंच पर केवल दो परीक्षार्थी को ही बैठाए जाने के बावजूद अचानक परीक्षा परिणाम से पूर्व बिना किसी कारण परीक्षा रद्द कर देना कहाँ का इंसाफ है। इस पर सरकार से जवाब देने की मांग करते हैं। साथ ही सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आखिर स्कूलों में नए बहाली को रोकने का प्रयास क्यों हो रहा है । प्राथमिक को मध्य, मध्य को हाई तथा हाई स्कूल को इंटर स्कूल में उत्क्रमित करने का आदेश, बिना शिक्षक बहाली के पढ़ाई कैसे लॉक डाउन के कारण लाखों बेरोजगार युवकों को बिहार में ही रोजगार मिल जाता लेकिन शिक्षक बहाली रोका जाता है, ऐसा क्यों? आखिर कब तक हाई स्कूल में रिटायर्ड शिक्षकों से पुनः सेवा लिया जाता रहेगा ? आखिर किन लोगो, पदाधिकारियों को लाभ पहुंचाने का प्रयास हो रहे हैं? बिहार शिक्षा व्यवस्था, भ्रष्टतंत्र के आगे नतमस्तक हो गई है । STET की परीक्षा में ढाई लाख से अधिक अभियर्थियों ने आवेदन दिया। प्रदेश के बेबस-लाचार युवाओं को उनके बदहाली पर छोड़ने के लिए परीक्षा रद्ध करने का निर्णय हुआ। सुनियोजित तरीके से एक तरफ 34000 पदों पर शिक्षकों की बहाली को लेकर अधिसूचना जारी की गई तो वही दूसरी ओर STET की परीक्षा रद्द किया गया। इस प्रकरण में गहरी साजिश प्रतीत हो रही है। इस पूरे प्रकरण में राज्य सरकार ओर बोड अध्यक्ष को स्पष्ट जवाब देनी चाहिए। इस धरने में राज शाहिल,नगर सहमंत्री मुन्ना कुमार,  गौरव कुमार व आशीष सहित दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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