बाबा के दर पर जले पांव, लगी ठोकर पर अटल रहे भक्त

श्री काशी विश्वनाथ धाम के नव्य व दिव्य स्वरूप के आकार लेने के बाद दर्शन के लिए रेला उमड़ पड़ा।  इसे देखते हुए मंदिर प्रशासन की ओर से सुविधाएं दी गई।  लेकिन वह नाकाफी है।  कंजूसी से मैट बिछाया गया है।  जिससे शिव भक्तो का पांव जल रहा है। स्टील की जो रेडक्रॉस लगाई गई है  उसका आधार बाहर निकला है।  जिससे भक्तो को ठोकर से चोट भी लग रही है।  गंगा द्वार से प्रवेश मे भक्तो की तीखी धूप का सामना करना पड़ा।  श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की ओर से रेड कार्पेट जरूरत के हिसाब से कम बिछाया गया है।  ललिता घाट से गंगा द्वार के रास्ते भक्तों मुश्किले हुई।  रेड कार्पेट व छांव की व्यवस्था गंगा घाट के रास्त पर नही थी।  धाम मे बने लाकर फुल हो गए थे।  भक्तो के बैग व अन्य सामान बाहर रख वां दिए गए थे। भोर मे भीड़ बढ़ने से ललिता घाट पर लगी बल्लियां गिर गयी थी।  जिसे मौके पर तैनात जवानो ने ठीक करवाया। बाबा दरबार का पट खुलने के बाद 11 बजे तक आसपास की गलियां सामान्य हो गई थी।  गर्मी से बेहाल भक्त छांव खोजते नजर आएं।  बच्चे व बुजुर्ग भी धूप से पस्त होकर दौड़ लगाकर छांव ढ़ूढ़ते रहे।  चितरंजन पार्क मे लगे शिविर मे भी कावड़ियों के लिए जलपान की सुविधा नदारत रही। कमोवेश ऐसा ही हाल मैदागिन स्थित टाउनहाल मैदान मे लगे शिविर का भी था। धूप से परेशान लोगो के लिए राजेन्द्र प्रसाद घाट पर लगे वृक्ष का सहारा था।  जिसकी छांव मे भक्तो ने दो पल बिताएं। 

रिपोर्टर

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