बारिश होने से किसान भाइयों मे दौड़ी खुशी की लहर

सेवापुरी ।। पूर्वान्चल के विभिन्न जनपदो में बारिश होने से किसानों भाइयों में खुशी की लहर दौड़ रही हैं और उन्होंने धान की रोपाई का कार्य आरंभ कर दिया है। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र अमिहित जौनपुर-2 के वैज्ञानिकों ने प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान किसानों से धान की रोपाई के बारे में बातचीत किया। किसानों ने बताया कि मानसून इंतजार करते करते धान की रोपाई में काफ़ी देर हो चुकी है। अब जाकर थोड़ी बहुत बारिश हुई है जिसका सदुपयोग करते हुए रोपाई शुरू कर रहें है। इसी दौरान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने धान की फसल मे पोषक तत्त्व प्रबन्धन पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से धान की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिये 110 से 120 किग्रा नाइट्रोजन, 50-60 किग्रा फॉस्फोरस, 40 से 50 पोटाश एवं 20-25 किग्रा जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करे। जिसमें से नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फॉस्फोरस, पोटाश एवं जिंक सल्फेट की पूरी मात्रा रोपाई / बुवाई से पूर्व खेत की तैयारी के समय भूमि में 10 से 12 सेमी की गहराई तक अच्छी प्रकार से मिला दे। शेष बची नाइट्रोजन को खड़ी फसल में दो बराबर भागों में बांटकर 1/4 भाग कल्ले निकलते समय (रोपाई के लगभग 20-25 दिन बाद) तथा 1/4 भाग बालियां निकलने से पूर्व की अवस्था पर (लगभग 70 से 75 दिन बाद) उपयोग करे। मृदा वैज्ञानिक डॉ दिनेश कुमार ने कहा किसान भाई मौसम की स्तिथि को देखते हुए भूमि की उर्वरता के आधार पर खाद एवं उर्वरको का उपयोग करे। शस्य वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार ने कहा जो किसान भाई अभी तक धान की नर्सरी नही डाले है वे धान की सीधी बुवाई करे जिसके लिए 70- 80 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें या  खरीफ सीजन की अन्य  फसले जैसे मक्का, अरहर, तिल, मंडुआ आदि की बुआई करे। कृषि अभियंत्रण वैज्ञानिक इंजी बरूण कुमार ने धान की फसल में सिंचाई एवं जल निकास प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी।  पशुपालन वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार सिंह ने मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन तथा  वर्ष भर हरा चारा प्रबंधन के बारे में चर्चा की।  केंद्र  के कृषि वानिकी वैज्ञानिक डॉ अनिल कुमार ने खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्याज, भिन्डी, लौकी कद्दू आदि की वैज्ञानिक जानकारी दी। इस कार्यक्रम के आयोजन में प्रदीप कुमार यादव, धीरज कुमार,विवेक सिंह आदि कर्मचारियों का सहयोग रहा।

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