एमपी में कांग्रेस एक बार नहीं 7बार टुट चुकी हैं ढाई साल के अंदर

मुंबई।। मध्यप्रदेश में लाख कोशिशों के बाद भी कांग्रेस नेतृत्व अपने दल को समेट कर नहीं रख पा रहा है। राष्ट्रपति के चुनाव से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष जनपद पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस सदस्यों ने जमकर क्रॉस वोटिंग की। हालात ये है कि कांग्रेस में पिछले ढाई साल में सात बार टूट हो चुकी है। मार्च 2020 में कांग्रेस के विधायकों के भाजपा में आने के बाद से लगातार कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में जा रहे हैं।

भाजपा को मिल रहा है सीधा लाभ- एमपी में कांग्रेस के नेताओं को पार्टी छोड़ने का सीधा लाभ भाजपा को मिल रहा है। कांग्रेस के लाख दावों के बाद भी राष्ट्रपति चुनाव में प्रदेश के 19 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी। जिला पंचायत जनपद पंचायतों के चुनाव में भी भाजपा को जिन जिलों में बहुमत नहीं था, कांग्रेसियों की मदद से भाजपा ने अपने अध्यक्ष बना लिए। इससे साफ है कि प्रदेश में कांग्रेस की टूट खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।

कांग्रेस के लगातार टूटने का कारण प्रदेश नेतृत्व का सख्त न होना भी माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति के चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वालों को पार्टी ने चिन्हित कर लिया है, लेकिन इनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कारवाई करने की पार्टी हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के पहले प्रदेश कांग्रेस में बिखराव आ सकता है।

ऐसे बिखरती रही कांग्रेस ---2020 से कई बार टूट चुकी है कांग्रेस

मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने पाला बदलकर सरकार गिराई, जुलाई 2020 में 3 विधायकों नारायण पटेल, सुमित्रा कास्डेकर, प्रधुम्न लोधी ने कांग्रेस का साथ छोड़ा, अक्टूबर 2020 में विधायक राहुल लोधी ने छोड़ी कांग्रेस, अक्टूबर 2021 में उपचुनावों के दौरान विधायक सचिन बिड़ला ने थामा भाजपा का दामन, उपचुनावों में सुलोचना रावत ने कांग्रेस छोड़ भाजपा से लड़ा चुनाव, राष्ट्रपति चुनाव में 19 विधायकों की क्रास वोटिंग, जिला जनपद अध्यक्ष चुनाव में जमकर क्रॉस वोटिंग

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