महिलाओं की भूमिका एवं उनके योगदान की चर्चा के बिना हमारी सामाजिक एवं सांस्कृतिक परंपरायें अधूरी- शमीम तारिक।



' सूरज सवा नेजे पर ' का विमोचन करके मैं गौरवांवित हूँ - डॉ.खालिद महमूद।



भिवंडी।। उर्दू साहित्यकार शमा अख्तर काजमी की सामाजिक,राजनैतिक एवं मनोवैज्ञानिक विषयों पर आधारित निबंध संग्रह 'सूरज सवा नेजे पर' के विमोचन समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ स्तंभकार शमीम तारिक ने कहा कि महिलाओं की भूमिका एवं उनके योगदान की चर्चा किए बिना हमारी सामाजिक,सांस्कृतिक एवं साहित्यिक परंपरायें पूर्ण नही हो सकती। हिन्दुस्तान में केवल शिबली नोमानी ने गुलशने नैरंग में महिला रचनाकारों एवं कवियित्रियों का पूरा इतिहास प्रस्तुत किया है। शमीम तारिक भिवंडी की साहित्यिक संस्था बज्में याराने अदब द्वारा जी.एम.मोमिन महिला महाविद्यालय के सभागृह में आयोजित विमोचन समारोह में अपना मनोगत व्यक्त कर रहे थे। 


   उन्होंने कहा कि जब तक हम फातिमा बेगम की सेवाओं का उल्लेख न करें, ज्योतिबा फुले का जीवन परिचय सामने नही आता और न ही महाराष्ट्र की शैक्षणिक क्रांति का पूरा विवरण सामने आता है। उन्होंने कहा कि हमारी चेतना मृतप्राय हो चुकी है। उन्होंने कहा कि हम इतिहास का अध्ययन इसलिए करते हैं कि अपना वर्तमान अतीत से बेहतर बनाने का प्रयास करें। लेकिन इसके सामने समस्या यह है कि हमारे समाज की आत्मा मर चुकी है, मासूम बच्चियों का अपहरण किया जा रहा है, यहां तक की सरकारी अनुदान से चलने वाले शेल्टर होम में भी महिलाएं असुरक्षित हैं। वहां भी उनका शोषण किया जा रहा है वैश्विकस्तर पर भी महिलाओं की स्थिति अच्छी नही है। उन्होंने निबन्ध संग्रह की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस पुस्तक की सभी रचनाएं महत्वपूर्ण एवं विचारणीय हैं। सच तो यह है कि पर्दानशीन लेखिका शमा अख्तर काजमी ने अपनी लेखनी के माध्यम से सामाजिक,आर्थिक,राजनैतिक,मनोवैज्ञानिक सहित विभिन्न पहलुओं से सामाजिक समस्याओं को बेपर्दा करके रख दिया है, यह निबन्ध संग्रह न केवल पाठनीय है बल्कि विचारोत्तेजक भी है। 


  निबन्ध संग्रह 'सूरज सवा नेजे पर' का विमोचन करते हुए दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ.खालिद महमूद ने कहा कि मैंने अपने 42  वर्षीय शैक्षणिक एवं साहित्यिक जीवन में बहुत सारी किताबों का विमोचन किया है लेकिन इस पुस्तक का विमोचन करते हुए मैं अपने आपको गौरवांवित महसूस कर रहा हूं। मैंने इस पुस्तक को पढ़ा है ऐसी पुस्तकों को एक बार में पढ़ना आसान नही है। संवेदनशील व्यक्ति ऐसी पुस्तकों को आसानी से पढ़ भी नही सकता है। शमा अख्तर काजमी की रचनाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन्होंने काफी संक्षेप में लिखा है उन्होंने कहा कि किसी भी समस्या पर विस्तार से लिखना तो आसान है लेकिन संक्षेप में अपनी बात पूरा कर लेना लेखिका का कमाल है। पुस्तक की सभी रचनाएं विश्लेष्णात्मक हैं,  लेखिका की सूझ-बूझ व अंतर्दृष्टि की परिचायक है। जबकि दूसरे लेखकों में यहां तक की पुरुषों में भी अंतर्दृष्टि का अभाव पाया जाता है। किसी भी समस्या पर लेखनी चलाना और उसकी जड़ तक पहुंचकर निष्कर्ष निकालना हर एक के वश की बात नही है। 


   इसी प्रकार उर्दू के वरिष्ठ पत्रकार आलिम नकवी ने निबंध संग्रह की प्रशंसा करते हुए कहा कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विषम परिस्थितियों का सफल चित्रण शमा अख्तर काजमी ने किया है। उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों और भावी संकट को अपनी पुस्तक में स्पष्ट रूप से किया है, उन्होंने कहा कि आज हम झूठ,बेईमानी,भ्रष्टाचार में आकंठ में डूबे हुए हैं। हमारा चारित्रिक एवं आध्यात्मिक पतन की सारी परेशानियों की जड़ है। भोपाल से आई बरकतुल्ला विश्वविद्यालय की फारसी विभागाध्यक्ष ताहिरा वहीद अब्बासी ने कहा कि इतिहास सदैव इस बात का साक्षी रहेगा कि एक पर्दानशीन महिला ने अपनी घरेलू जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए इतनी आकर्षक रचनाओं पर आधारित पुस्तक 'सूरज सवा नेजे पर' प्रकाशित किया, शमा अख्तर काजमी ने एक आदर्श महिला की भूमिका का निर्वाह करते हुए सफल लेखिका का महत्वपूर्ण कारनामा भी अंजाम दिया है। उन्होंने जिन-जिन विषयों पर कलम उठाई उसे अपनी अंतरात्मा की पूरी क्षमता एवं निर्भरता से उजागर किया है। ताहिरा अब्बासी ने कहा कि यह इतिहास की किताब भले ही न हो लेकिन ऐतिहासिक संदर्भों से भरपूर है, उन्होंने हर शिक्षित महिला को अपनी सामुदायिक एवं राष्ट्रीय जिम्मेदारियों को गंभीरता के साथ समझने का आवाहन किया है। 


   विमोचन समारोह का शुभारंभ सुहेल अख्तर अंसारी ने हम्द पेश कर किया, उद्घाटन भाषण एडवोकेट .यासीन मोमिन ने किया, समारोह की आयोजक संस्था बज्मे याराने अदब की ओर से रईस हाईस्कूल एंड जूनियर कॉलेज के प्रधानाचार्य जियाउर्रहमान अंसारी ने लेखिका शमा अख्तर काजमी को प्रशस्ति पत्र देते हुए कहा कि कलम की धार,भाषा का प्रहार,कल्पना का उत्कर्ष,बेबाक एवं प्रभावपूर्ण शैली और लहजे में तीखापन निःसंदेह शमा अख्तर काजमी के चेतनशील,अध्ययनशील,अनुभवशील एवं साहित्यप्रेमी होने का उज्ज्वल प्रमाण है। लेखिका शमा अख्तर काजमी ने अपना विचार प्रकट करते हुए कहा कि इस भौतिक जगत में अपने जीवन के अधिकार और अस्तित्व की रक्षा के लिए यह आवश्यक है कि भौतिक संसाधनों में हमारी भी भागीदारी हो। 


   इस विमोचन समारोह में  अतिथि के रूप में शरीफ हसन मोमिन,डॉ.अब्दुल सलाम अंसारी,मोहम्मद वजीहुद्दीन,प्रो.नसीम फातिमा ,ओवैस अरब और शकील रशीद मौजूद थे। बज्मे याराने अदब के सचिव का.अब्दुल जलील अंसारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार मोहम्मद रफी अंसारी सर ने सफल संचालन एवं डॉ.मुख्तार अहमद अंसारी ने आभार व्यक्त किया।   

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