रोहतास के नए एसपी रौशन कुमार कठिन परिश्रम से बने आइपीएस

रोहतास। इंटर में 58 % आए तो IIT का सपना टूटा,  ! पत्नी का साथ मिला तो आइपीएस बन कर शिक्षक पिता का नाम किया रौशन।

रोहतास के नए एसपी का व्यक्तित्व अनोखा तथा आकर्षक है। अगर गृह विभाग के मुखिया नीतीश कुमार और पुलिस मुख्यालय ने सपोर्ट किया तथा काम में आजादी दिया तो रोहतास में कमाल कर सकते हैं ! 

लेकिन अगर गृह विभाग के मुखिया नीतीश कुमार सिर्फ पैसे तसिलने में इनके जवानी को बर्बाद करने लगेंगे तो, फिर बात ही अलग है । मानवीय मूल्यों से भरपूर हैं रौशन कुमार ।गरीब छात्रों की मदद भी करते हैं । संघर्षों में जवानी खपा है तो दूसरों की मजबूरियों को भी समझते हैं ।

7 जुलाई 1988 को मुजफ्फरपुर में जन्मे रौशन ने स्थानीय शांति निकेतन स्कूल से मैट्रिक किया । रौशन के पिता बेसिक शिक्षक हैं तो मां एएनएम हैं ।

शुरुआती संघर्ष और 12वीं की परीक्षा में खराब प्रदर्शन  !

रौशन का एकेडमिक बैकग्राउंड खराब था। 12वीं में उनका 58.6 पसेंट आया था. वो कहते हैं कि गण‍ित-अंग्रेजी आदि में तो मैं घ‍िसट कर पास हुआ था। इस सभी विषयों में बस पासिंग मार्क्स भर आए थे।

आईआईटी का सपना छोड़कर इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन  !

उन्हें 12वीं के रिजल्ट के बाद ही महसूस हो गया था कि उनका आईआईटी वगैरह में दाख‍िला हो ही नहीं सकता था।इसके बाद उन्होंने मैनेजमेंट कोटा से एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया।उन्होंने लेकिन यहां पढ़ाई को सीरियस लिया और इंजीनियरिंग बहुत अच्छे नंबरों से पास की।

नौकरी मिलना और पुलिस सर्विसेज में रुचि  !

उन्होंने इंजीनियरिंग में बेहतर प्रदर्शन किया तो वहीं से उन्हें कैंपस प्लेसमेंट के जरिये ही नौकरी मिल गई। लेकिन, उनके मन में बचपन से पुलिस सर्विसेज में इंटरेस्ट था।अब नौकरी मिल गई थी लेकिन कहीं न कहीं मन में आईपीएस बनने का सपना था क्योंकि उनका पहली च्वाइस यही थी।

नौकरी शुरू करना और तैयारी के लिए समय की कमी  !

साल 2012 में वो जॉब करने लगे थे।नई नई नौकरी थी, कंपनी में काम ज्यादा था, सीखना बहुत था। ऐसे में 12 से 14 घंटे काम करने के बाद तैयारी के लिए समय बहुत कम बचता था। फिर साल 2013 फरवरी में रौशन की शादी हो गई।अब पत्नी के साथ बातचीत में उन्होंने अपना आईपीएस बनने का सपना बताया।

पत्नी का समर्थन और सिविल सर्विसेज की तैयारी !  

पत्नी ने उनसे कहा कि आप सिविल सर्विसेज के लिए करते क्या हैं।जॉब के साथ पढ़ाई कैस करते हैं। पत्नी ने रोशन का हौसला बढ़ाया तो वो तैयारी में जुट गए। उनका 2013- 14 ऐसे ही निकल गया। फिर उन्होंने आईएएस टॉपर के इंटरव्यू सुने टॉपर की बताई किताबें मंगा ली। रौशन कहते हैं कि उनका रूम लगभग लाइब्रेरी बन गया लेकिन किताबों को पढ़ने का वक्त नहीं मिलता था।


पहली बार प्रीलिम्स देना और असफलता  !

फिर साल 2014 में उन्होंने पहली बार प्रीलिम्स दिया। इसमें वही हुआ जिसकी उन्हें उम्मीद थी, उनका सेलेक्शन नहीं हुआ था।सोचा जॉब छोड़कर तैयारी करें, लेकिन घर से कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं मिला क्योंकि छोटा भाई भी पढ़ाई कर रहा था।

दूसरी बार प्रीलिम्स देना और फिर असफल होना  !

फिर 2015 में भी जैसे-तैसे काम के साथ पढ़कर फिर तैयारी की. लेकिन 2015 के प्रीलिम्स में भी फेल हो गए।

2016 में प्रीलिम्स क्लीयर करना, लेकिन मेन्स में संघर्ष  !

फिर 2016 में प्रीलिम्स क्लीयर हो गया, लेकिन मेन्स की तैयारी सही नहीं थी।उन्होंने सोचा वाइफ ये न सोचे कि मैं एग्जाम से भाग रहा हूं इसलिए मेन्स दिया। हालत ये थी कि पहला ऐशे पेपर दिया फिर सो गए।पूरा मेन्स जैसे-तैसे दिया।फिर ड्यूटी पर वापस आ गए। रोशन कहते हैं कि जब मार्क्स आए तो देखा कि 124 नंबर था, वहीं से मेरा कॉन्फीडेंस बढ़ा।मैंने सोचा कि अगर अच्छे से तैयारी करूं तो निकाल सकता हूं।

2017 में बेटी का जन्म और मेन्स में फिर असफलता  !

फिर साल 2017 में 28 अक्टूबर को मेन्स था और चार अक्टूबर को घर में बेटी का जन्म हो गया। मेंस देने गए तो आता था लेकिन पूरा लिख नहीं पाए।उनका आता हुआ भी छूट गया जिससे 2017 में भी फेल हो गए। इस बार वो 12 नंबर से फेल थे।2018 में सफलता और 114वीं रैंक प्राप्त करना  !

लेकिन फिर साल 2018 के लिए पूरी तैयारी की और मॉक इंटरव्यू दिया। इस साल उन्हें 114 रैंक मिली थी। रौशन का कहना है कि मेरा सपना सिर्फ इसलिए पूरा हो गया, क्योंकि मैं निराशा और हताशा को हरा पाया।

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