जगे हैं क्या !----कवि डॉ एम डी सिंह

जगे हैं क्या पलट कर देखें
सपन नींद से हट कर देखें

कितने जगते खाट छोड़कर
सुप्त दिमाग से कट कर देखें 

तंद्रा में चलते बहुतेरे
मन मस्तिष्क से सट कर देखें 

खुली आंखें छोड़ देती हैं 
बंद आंखों सब रट कर देखें 

बहुत समय है बेसुध जाता
सुधियों से मिल पट कर देखें

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