भारत और भारत माता का सम्मान न करने वालों का सम्मान नहीं होना चाहिए - डॉ रणजीत सिंह

जौनपुर समोधपुर - 72 वें गणतंत्र दिवस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज समोधपुर के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ रणजीत सिंह ने डीपीएड ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में ध्वजारोहण के पश्चात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जो व्यक्ति भारत और भारत माता का सम्मान नहीं करता है और हमेशा देश के स्वाभिमान के खिलाफ बोलता है ऐसे लोगों का सम्मान नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग देश के उन अमर शहीदों के बलिदानों की कीमत नहीं समझते। उन्होंने कहा सर्वप्रथम देश के उन स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करना चाहिए जिन्होंने हमारे देश को गणतंत्र बनाने में अपनी जान और परिवार की परवाह नहीं की बल्कि देश की परवाह की और मैं उन स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करता हूं जिनके तप और त्याग से आज स्वतंत्रता के इस दिन को देखने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है साथ-साथ उन जवानों को भी नमन करता हूं जो -50 डिग्री सेल्सियस और जैसलमेर जैसे 50 डिग्री सेल्सियस के तापक्रम में भी अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप हम अमन चैन की सांस ले पा रहे हैं। मुख्य अतिथि ने कहा कि यह भारत देश चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, महात्मा गांधी आदि लोगों के ख्वाबों का देश है, स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक विचारधाराओं का देश है जो सभी स्वतंत्रता सेनानियों के महान त्याग और बलिदान के बाद बड़ी मुश्किल से स्वतंत्र हुआ है इसलिए हमें एकजुट होकर आपसी सहमति और सामंजस्य बनाए रखते हुए देश की एकता और अखंडता के प्रति सजग रहना चाहिए। गांधी स्मारक पीजी कॉलेज विद्यालय संकुल के प्रबंधक डॉ हृदय प्रसाद सिंह रानू ने कहा कि देश का 72 वां गणतंत्र दिवस देश के सभी नागरिकों द्वारा एक साथ एक मंच पर पूरे देश में मनाया जा रहा है। यह राष्ट्रीय पर्व हमारे देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है जिसे देश का हर वर्ग तथा समुदाय के लोगों द्वारा अत्यंत हर्ष उल्लास के साथ पूरे देश में मनाया जाता है। भारत का संविधान 26 नवंबर सन 1949 को बन  गया था जो 26 जनवरी सन 1950 को पूरे देश में लागू हुआ था। 26 नवंबर के दिन को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। जब से देश में हमारा संविधान बना हम संविधान के कानून के तहत देश में रहते हैं और संविधान के सिद्धांतों का अनुपालन करते हैं। प्रबंधक डॉ रानू ने देश की आजादी के पूर्व की स्थितियों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे पूर्वज देश की आजादी से पहले अंग्रेजी हुकूमत के तानाशाही रवैया से त्रस्त थे और चैन की सांस भी नहीं ले पाते थे। उन्होंने देश की तरक्की और राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए सभी नागरिकों से अपील की जिससे हमारा देश उन्नत के चरमोत्कर्ष पर स्थापित हो। कार्य को करने से पहले हमें अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि यदि हम अच्छा करेंगे तो हमारी भावी पीढ़ियांभी अच्छा करेंगी जो देश के लिए बहुत बड़ा सहयोग होगा।हमें अपने संविधान का आदर करना चाहिए और संविधान में निहित मूल्यों की कीमत समझनी चाहिए। उन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए अपनी शहादत देने वाले वीर और सच्चे सपूतों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित किया।गांधी स्मारक पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ रणजीत पांडेय ने देश के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके त्याग और बलिदान को नमन करते हुए कहा कि आज हमारे देश को महान बलिदानी, अमर सपूतों के बलिदान से ही हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई किंतु स्वतंत्र होने के बावजूद हम स्वाधीन नहीं थे। उन्होंने कहा कि हमारा देश भारत सरकार अधिनियम के 1935 के तहत शासित होता था। हमारे देश का कोई कानून नहीं था। बाद में यह अधिनियम निरस्त किया गया और 26 जनवरी 1950 को भारत देश पूर्ण गणराज्य बना। देश के स्वतंत्रता सेनानियों का लक्ष्य देश में पूर्ण स्वराज्य लाना था जिससे हमारा देश संपूर्ण संप्रभुता संपन्न गणराज्य बना। उन्होंने कहा कि आज का दिन हमें उन महान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों तथा अपने कर्तव्य की याद दिलाता है। हमें समस्त संकीर्णताओं तथा छुद्रताओं से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर राष्ट्र के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित होना होगा और देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हमें सदैव तत्पर रहना चाहिए। श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज समोधपुर के प्रांगण में विद्यालय के छात्रों और छात्राओं द्वारा आयोजित कार्यक्रम ने लोगों का मन मोह लिया। इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम एकांकी ,नाटक, कव्वाली, गजल, भजन ,राष्ट्रीय गीत,भाषण आदि की शानदार प्रस्तुति से दर्शक, छात्र-छात्राएं एवं उपस्थित शिक्षक गण भाव विभोर हो उठे और इस कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की। कॉलेज के प्रधानाचार्य विनोद कुमार सिंह ने देश को स्वतंत्रता प्राप्त कराने में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर सपूतों और बलिदानों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके त्याग और बलिदानों को याद करते हुए कहा कि आज हमारा देश अपनी अनेकता में एकता को साबित करता है। हमारा देश विभिन्न प्रकार की भाषाओं, संस्कृतियों ,जातियों ,संप्रदायों, धर्मो तथा पंथों वाला देश है फिर भी इतनी अनेकताओं के होने के बावजूद होते हुए भी एकता के सूत्र में पिरोए हुए है जिसका उदाहरण राजपथ में देखने को मिलता है। प्रधानाचार्य ने सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी, सरदार भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव राजगुरु, लाला लाजपत राय आदि तमाम स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदानों को याद किया।

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