सम्पूर्ण वेदों और शास्त्रों का सार है भागवत

नुआंव, कैमूर से प्राची सिंह की रिपोर्ट

श्रीमद्भागवत सम्पूर्ण कथाओं का सार है। भगवान की कृपा से जीव को जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। भागवत महर्षि व्यास जी की अंतिम कृति है। उक्त कथा महंगू ब्रह्म परिसर एवंती में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान रामानुजाचार्य श्री पंडित पुंडरीक शास्त्री जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि जब ईश्वर की कृपा होती है तो मनुष्य को सत्संग का सौभाग्य प्राप्त होता है। श्रीमद्भागवत कथा में वर्णित है कि आठ सौ अट्ठासी हजार ऋषि मुनियों ने नौमी शारण्य क्षेत्र में श्री सूत जी महाराज के द्वारा भागवत कथा का श्रवण किया था। भागवत महापुराण में तीन कथाएं वर्णित है। पहली प्रेत मुक्ति की कथा है-अर्पण, तथा दूसरी कथा है समर्पण, और तीसरी कथा है तर्पण, जो स्वयं के कल्याण के लिए की जाए। और जो पितरों के  कल्याण के लिए की जाए वह तर्पण है। भगवान की महिमा से हमारे जीवन में यदि परमात्मा के प्रति भक्ति नहीं आई तो ये मनुष्य जीवन व्यर्थ है। भगवान की भक्ति ही जीवन के उद्धार का श्रेष्ठ साधन है।

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