सेविकाओं व लाभार्थियों ने हाथों में मेहंदी लगाकर स्तनपान कराने का दिया सन्देश


- सिमरी प्रखंड में विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर विभिन्न गतिविधियों का हो रहा आयोजन

- सिमरी सीडीपीओ ने कहा स्तनपान माताओं और नवजात के बीच भावनात्मक रिश्ते को मजबूत करता है

बक्सर ।। जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर विश्व स्तनपान सप्ताह का संचालन किया जा रहा है। जिसके तहत विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से माताओं को स्तनपान कराने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को सिमरी प्रखंड अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों पर मेहंदी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मेहंदी लगा कर सेविकाओं और महिलाओं ने स्तनपान कराने का संदेश दिया। इस दौरान  महिलाओं ने जागरूकता के लिए  अपने हाथों पर  मेहंदी से स्तनपान के महत्व से संबंधित सन्देश लिखवाया। वहीं, सिमरी के उत्तरी नट टोली स्थित आंगनबाडी केंद्र कोड संख्या 47 पर आयोजित मेहंदी कार्यक्रम में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) संगीता कुमारी ने भी हिस्सा लिया। जहां उन्होंने उपस्थित महिलाओं को जन्म के तुरंत बाद खिरसा पान, 6 माह तक सिर्फ स्तनपान, बोतल  के दूध पिलाने के नुकसान आदि बातों की चर्चा की।

मां के दूध में होते हैं प्राकृतिक एंटीबॉडीज, जो प्रतिरक्षा को बढ़ाते हैं :

सीडीपीओ संगीता कुमारी ने बताया, शिशुओं को विशेष रूप से पहले 6 महीनों में सिर्फ स्तनपान कराया जाना चाहिए। ठोस पोषण की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 6 महीने की उम्र में ठोस भोजन शुरू किया जाना चाहिए। स्तनपान 2 साल या उससे अधिक तक जारी रह सकता है। गर्भावस्था के दौरान, एंटीबॉडीज प्लेसेंटा के माध्यम से गर्भ में स्थानांतरित होते हैं। ये एंटीबॉडीज जन्म के लगभग 6 महीने बाद खत्म हो जाएंगे। जन्म के  2 से 3 साल बाद, शिशु आसानी से अपरिपक्व प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। मां के दूध में प्राकृतिक एंटीबॉडीज, जीवित प्रतिरक्षा कोशिकाएं व एंजाइम होते हैं जिसके कारण शिशुओं को संक्रमण का जोखिम कम होता है।

शिशुओं में स्वस्थ हडि्डयों का विकास होता है :

स्तनपान से जहां बच्चे को उचित पोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। वहीं स्तनपान माताओं और नवजात के बीच भावनात्मक रिश्ते को मजबूत करता है। स्तनपान से स्वस्थ हडि्डयों का विकास होता है एवं शिशु के शरीर में प्रोटीन और विटामिन की कमी नहीं होती है तथा मां के दूध में मौजूद कैल्सयम शिशु के द्वारा अवशोषित होते हैं, जबकि मां को स्तन (ब्रेस्ट) और गर्भाशय (ओवेरियन) कैंसर के खतरे को भी कम करता है। वहीं स्तनपान कराने वाली माताओं को संतुलित आहार अवश्य करना चाहिए। स्तनपान कराने वाली मां को अपने खाने का खास ख्याल रखना चाहिए क्योंकि इस वक्त जो वह खाती हैं उसका असर उसके बच्चों पर पड़ता है। कुछ खाद्य पदार्थ है, जो विशेष रूप से दूध उत्पादन में वृद्धि करने में मदद करता है।

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