संध्या चौपाल के माध्यम से बच्चों के कुपोषण को दूर करने के दिये गए टिप्स


- सिमरी प्रखंड के बलिहार में पोषण सह परामर्श सत्र का किया गया आयोजन

- स्थानीय फल-सब्जी के माध्यम से बच्चों के कुपोषण को कम करने से संबंधी बातों पर हुई चर्चा

सिमरी (बक्सर), 18 जून | शिशुओं, बच्चों व माताओं में कुपोषण को दूर करने के उद्देश्य जिले में पोषण माह का संचालन किया जा रहा है। इस क्रम में आंगनबाड़ी केंद्रों के पोषण क्षेत्र में लोगों को पोषण के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में सिमरी के बलिहार पंचायत में संध्या चौपाल का आयोजन किया गया। जिसमें पोषण सह परामर्श सत्र का संचालन किया गया। इस दौरान कुपोषित बच्चों की माताओं व उनके अभिभावकों को स्थानीय फल सब्जी के माध्यम से बच्चों के कुपोषण को कम करने से संबंधीत जानकारी दी गयी। साथ ही, गर्भवती महिलाओं की गोदभराई की रस्म भी अदा की गयी। सत्र के दौरान सीडीपीओ संगीता कुमारी ने अपने हाथों से गभर्वती महिलाओं को पोषण की पोटली देकर गोदभराई की रस्म को पूरा किया। साथ ही, बच्चों का अन्नप्राशन भी किया गया।


हर घर तक सही पोषण का संदेश पहुंचाने का संकल्प लिया गया :

सीडीपीओ संगीता कुमारी ने बताया, कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए सिमरी परियोजना में भी चौथे राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत पूरे माह आंगनबाड़ी सेविकाओं, आशा, एएनएम के माध्यम से गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। चार सप्ताह के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ताकि, लोगों को पोषण के प्रति जागरूक किया जा सके। उन्होंने बताया, हर घर तक सही पोषण का संदेश पहुंचाने का संकल्प लिया गया है। लोगों को कुपोषण से उबारने के लिए स्थानीय स्तर पर जो भी संतुलित आहार उपलब्ध होगा, उसे खानपान में शामिल कराने पर बल दिया जा रहा है। साथ ही, साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने के लिए जागरूक किया जा रहा है।


स्टॉल लगाकर पौष्टिक भोजन की दी गयी जानकारी :

पोषण सह परामर्श सत्र में स्थानीय साग-सब्जियों व पौष्टिक भोजन के महत्व की जानकारी देने के लिए स्टॉल भी लगाये गयें। जिसके द्वारा महिलाओं को संतुलित और पौष्टिक आहार लेने के लिए प्रेरित किया गया। पौष्टिक आहार के लिए विभिन्न खाद्य पदार्थों मसलन अनाज, दाल, हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, मेथी, चोलाई और सरसों, पीला फल आम, पका पपीता आदि के सेवन पर विशेष ध्यान देने की अपील की गयी। वहीं, गर्भवती माताओं के 1000 दिन के महत्व के बारे में बताया गया। क्योंकि इन्हें अधिक पोषण की आवश्यकता होती है। पोषण माह के बाद भी आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं के द्वारा घर-घर जाकर पौष्टिक व्यंजनों को प्रदर्शित करके उनके बारे में बताने का निर्णय लिया गया।

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