डेंगू व चिकुनगुनिया प्रबंधन के लिए नगर परिषद क्षेत्र में होगा फॉगिंग व छिड़काव

• स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने डीएम, सीएस व नगर आयुक्त को भेज पत्र

• कूड़े कचरे की सफाई व गंदे पानी को इकट्ठा न होने देने के लिए दिया दिशा निर्देश

आरा ।। जिले में ठंड का आगमन हो चुका है। ऐसे में पर्व-त्यौहारों के अवसर पर लोग बीमारियों से ग्रसित न ही इसके लिए विभाग सजग है। बीते दिनों जिले में डेंगू के मरीजों की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग सख्ते में है। जिसको लेकर जिले में डेंगू व चिकुनगुनिया प्रबंधन किया जाने वाला है। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने जिलाधिकारी, सिविल सर्जन और नगर आयुक्त को पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने डेंगू व चिकुनगुनिया प्रबंधन के लिए छिड़काव करने का निर्देश दिया है। अपर मुख्य सचिव का मानना है कि छठ के अवसर पर डेंगू चिकनगुनिया सहित अन्य संक्रामक रोग से प्रभावित क्षेत्रों से यात्रियों के आवागमन के कारण इन रोग के प्रकोप बढ़ने की संभावना है। इसको देखते हुए उचित प्रबंधन की आवश्यकता है। अपर मुख्य सचिव ने जिले में फागिंग एवं लार्वीसाइडल स्प्रे के लिए तथा व्यस्क मच्छरों की रोकथाम के लिए पायरेथ्रम स्पेस स्प्रे का छिड़काव सुनिश्चित करने के लिए पत्र जारी किया है।

स्थिर पानी में पनपता है एडीज मच्छर: 

सिविल सर्जन डॉ. ललितेश्वर प्रसाद झा ने बताया, डेंगू एवं चिकनगुनिया की बीमारी संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से होती है। यह मच्छर सामान्यतः दिन में काटता है एवं यह स्थिर पानी में पनपता है। डेंगू का असर शरीर में 3 से 9 दिनों तक रहता है। इससे शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ जाती  और शरीर में प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगता है। वहीं, चिकनगुनिया का असर शरीर में तीन माह तक होती है। गंभीर स्थिति में यह छह माह तक रह सकती है। डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण तक़रीबन एक जैसे ही होते हैं। इन लक्षणों के प्रति सावधान रहने की जरूरत है। इसलिए उन्होंने जिलेवासियों को मच्छरदानी में सोने की सलाह दी। साथ ही, घर के आसपास साफ सफाई रखते हुए कहीं भी पानी न इकट्ठा होने देने की सलाह दी।

बेहतर प्रबंधन के अभाव में डेंगू 50% खतरनाक : 

डॉ. ललितेश्वर प्रसाद झा ने बताया, एक प्रतिशत डेंगू ही जानलेवा है, लेकिन बेहतर प्रबंधन के आभाव में डेंगू 50 प्रतिशत तक ख़तरनाक हो सकता है। डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। इस बीमारी में लगातार बुखार, सर में तेज दर्द, पैरों के जोड़ों मे तेज दर्द, आंख के पीछे तेज दर्द, चक्कर एवं उल्टी, शरीर पर लाल धब्बे आना एवं कुछ मामलों में आंतरिक एवं बाह्य रक्त स्राव होना डेंगू के लक्ष्ण में शामिल है। डेंगू का कोई सटीक इलाज तो उपलब्ध नहीं है, पर कुशल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की निगरानी से डेंगू को जानलेवा होने से बचाया जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सकीय सलाह ली जाए।  साथ ही बिना चिकित्सकीय सलाह के बुखार की दवा खाना ख़तरनाक हो सकता है।

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