कुष्ठ की पहचान के आसान उपाय बताने के साथ रोग के निदान व प्रसार दर घटाने पर दिया गया जोर

- जिला कुष्ठ निवारण कार्यालय में दो दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ समापन

- सभी कर्मियों के लिए आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा आयोजित की गई 

बक्सर ।। जिला मुख्यालय स्थित पुराना सदर अस्पताल के कुष्ठ निवारण कार्यालय में दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ। जिसमें प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से एक मेडिकल ऑफिसर, एक पारा मेडिकल वर्कर और एक हेल्थ मैनेजर या अन्य कर्मी ने प्रशिक्षण में हिस्सा लिया। प्रशिक्षण के दूसरे दिन कार्यक्रम का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ ने किया। साथ ही, सीडीओ डॉ. नरेश कुमार, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार व नोडल ऑफिसर डॉक्टर शालिग्राम पांडेय आदि ने प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण में स्वास्थ्य अधिकारियों ने कर्मियों को कुष्ठ रोग के निदान एवं प्रसार दर घटाने पर जोर दिया। साथ ही, कुष्ठ रोगियों की पहचान करने के आसान उपाय एवं उसका उपचार करने के तौर तरीके बताए। कार्यक्रम के समापन सत्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे सभी कर्मियों के लिए आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा आयोजित की गई। जिसमें प्रथम स्थान पर  नागेश दत्त पांडेय व राधेश्याम सिंह को सर्वश्रेष्ठ प्रथम पुरस्कार दिया गया।

कुष्ठ रोगियों के साथ भेदभाव न करें : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने बताया, गांवों में जाकर मरीजों की पहचान की जानी जरूरी है। जिससे कि समय पर सभी मरीजों को उपचार मिल सके। समय पर उपचार शुरू करने पर रोग का निदान किया जा सकता है। उन्होंने कुष्ठ रोगियों के साथ समाज में भेदभाव नहीं करने और उन्हें अपने बीच रखने की सलाह दी। बताया कि रोगी को नहीं रोग को दूर किया जाना चाहिए। रोग को दूर करने से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। सिविल सर्जन ने कहा, महात्मा गांधी ने कुष्ठ उन्मूलन के लिए विशेष अभियान चलाकर देश को संदेश दिया था कि कुष्ठ रोगियों के साथ हमें समर्पण का व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा करते हुए कहा था कि कुष्ठ रोग का काम केवल चिकित्सा राहत नहीं, यह समर्पण की खुशी के लिए जीवन को बदलने के साथ नि:स्वार्थ सेवा करने के लिए व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा है।

कुष्ठ से विकलांग ग्रेड 2 मरीजों को मिलता है 1500 रुपये पेंशन :

डॉ शालिग्राम पांडेय ने बताया, कुष्ठ रोग छुआछूत की बीमारी नहीं है देवी देवताओं का श्राप नहीं है।यह एक माइकोबैक्टीरियल लेप्री नामक जीवाणु से होता है। जिसको उचित इलाज व दवा से ठीक किया जा सकता है। कुष्ठ से विकलांग ग्रेड 2 मरीजों को 1500 रुपये पेंशन दिया जाता है। कुष्ठ बीमारी का इलाज मुफ्त हो रहा है। जिला अस्पताल, सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं रेफरल अस्पताल इसकी दवाईयां उपलब्ध है। उन्होंने बताया, अमूमन देखा जाता है कि कुष्ठ के रोगियों से हम परहेज करने लगते हैं। जिससे व्यक्ति दोनों तरफ से असहनीय पीड़ा से गुजरता है। लेकिन जागरूक लोगों को इस पर ध्यान देना चाहिए। चमड़ी में चुभन, जलन मचना, तामिया चमक, भौंहें व कान के ऊपर चकते होना, चमड़ी का पीला, लाल होना, टटोलने पर दर्द का अहसास होना और पैर में झुनझुनाहट होना आदि कुष्ठ के लक्षण होते हैं। ऐसा महसूस होने पर हमें तुरंत स्वास्थ्य केंद्र जाकर प्रारंभ में ही इलाज लेना चाहिए।

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