
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जिलाधिकारी को भेजा सम्मन
- आशुतोष कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ बिहार
- Mar 17, 2022
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कुदरा से कुमार चन्द्र भूषण तिवारी रिपोर्ट
भभुआँ (कैमूर) ।। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने तेजाब पीड़िता को मुवावजा देने में लापरवाही बरतने के मामले में जिला पदाधिकारी कैमूर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए समन भेजा है।पूरा मामला भभुआँ चौक का है। 2019 में एक अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति रेस्तरां संचालिका के ऊपर तेजाब से हमला बोल दिया था।मामले की गम्भीरता को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सी डब्ल्यू ए के चेयरमैन योगेन्द्र कुमार सिंह (योगी) ने शिकायत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग नई दिल्ली में भेजी थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने 09/07/2021 को मामले को संज्ञान में लिया और पुलिस अधीक्षक भभुआ से रिपोर्ट तलब किया।जबाब में पुलिस अधीक्षक ने 29/11/2019 के रिपोर्ट में आयोग को बताया कि आरोपी के खिलाफ FIR संख्या 250/1के तहत 326 ए आईपीसी के तहत मामला दर्ज है।आयोग ने पीड़िता को मुवावजे के भुगतान के लिये 27/01/2020 के तहत जिला मजिस्ट्रेड कैमूर (बिहार) से एक अद्यतन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। साथ ही आयोग ने यह भी अपने निर्देश में कहा था कि यदि मुवावजे का भुगतान किया गया है तो उसके भुगतान की अनुपालन रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करे। तथापि धारा 326ए आईपीसी की पीड़िता को मुवावजे के भुगतान के सम्बंध में अपेक्षित रिपोर्ट दिनांक 21/06/2021के एक और अनुस्मारक के बावजूद अभी तक प्राप्त नही हुई।आयोग ने जिलाधिकारी के गैर जिम्मेदराना रवैये पर शख्त रुख अख्तियार करते हुए मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 13 के तहत सशर्त समन जारी कर दिनांक 06/04/2022 को पूर्वाह्न 11:00 बजे आयोग के समक्ष उपस्थित होने का समन भेजा है। आगे आयोग ने कहा है कि यदि निर्धारित तिथि से एक सप्ताह पूर्व अपेक्षित रिपोर्ट प्राप्त हो जाती है तो जिला मजिस्ट्रेड को व्यक्तिगत उपस्थिति समाप्त हो जाएगी। हालांकि यदि जिला मजिस्ट्रेड बिना बैध बहाने के आयोग के आदेश का पालन करने में विफल रहते है तो आदेश के नियम 10 और 12 में निर्धारित गैर उपस्थिति के परिणामो के अधीन हो सकता है।आयोग ने अपने निर्देश में कहा है कि सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के XVI और आयोग को भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 275/176के तहत आपराधिक कार्यवाई शुरू करने और कानून के तहत ऐसी अन्य कार्यवाई करने के लिए बाध्य होना पडे़गा।
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