मातृत्व के सुख में बाधा बन सकती है टीबी

•15 से 35 वर्ष की महिलाओं को संक्रमण की संभावना अधिक 

•जेनिटल टीबी बन सकती है इनफर्टिलिटी की वजह 

पटना ।। आमतौर पर टीबी की पहचान किसी भी व्यक्ति को 15 दिन या इससे अधिक समय तक खांसी रहना माना जाता है. टीबी सिर्फ खांसी से पहचानी जा सके यह भी संभव नहीं है क्यूंकि 20 से 25 फीसदी लोगों को एक्स्ट्रा पल्म्युनरी टीबी होती है. इन्ही में से एक है पेल्विक टीबी जिसके संक्रमण से कई बार महिलाओं को माँ बनने के सुख से वंचित होना पड़ता है. टीबी का संक्रमण जब प्रजनन मार्ग में पहुँच जाता है तब जेनिटल या पेल्विक टीबी हो जाता है, जो महिलाओं एवं पुरुषों दोनों में नि:संतानता का कारण बन सकता है. शोध के अनुसार 15 से 35 आयुवर्ग की किशोरियों एवं महिलाओं में पेल्विक संक्रमण की संभावना अधिक होती है.  

इनफर्टिलिटी की वजह बन सकती है टीबी:

अगर किसी महिला में कुछ लक्षण नजर आयें तो अविलंब चिकित्सकों से संपर्क करें. ये लक्षण हैं अनियमित माहवारी, वजाईनल डिस्चार्ज, अत्यधिक रक्तस्राव, पेट के निचले हिस्से में अत्यधिक दर्द का रहना, संभोग के समय दर्द का होना आदि कुछ ऐसे लक्षण हैं जो जेनिटल टीबी की ओर इशारा करते हैं. अगर लड़की विवाहित है और पीरियड में किसी तरह की दिक्कत हो रही है या वजाईनल डिस्चार्ज बहुत ज्यादा है एवं संभोग के समय अत्यधिक दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. टीबी का बैक्टीरिया मुख्य रूप से फलोपियन ट्यूब को बंद कर देता है और इसमें माहवारी अनियमित होजाती है, महिला के पेट के निचले हिस्से में दर्द रहता है और वह गर्भधारण नहीं कर पाती है. पुरुषों में योनि में स्खलन नहीं कर पाना, शुक्राणुओं की गतिशीलता कम हो जाना और सेक्सुअल हॉर्मोन का पर्याप्त मात्रा में निर्माण ना करना जैसे लक्षण नजर आते हैं.  

किन महिलाओं को हो सकती है टीबी:

गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं में टीबी के मामले पाए जाते हैं. आमतौर पर कुपोषित एवं कमजोर महिलाओं में जननांगों की टीबी की संभावना अधिक होती है. अगर किसी के घर में किसी व्यक्ति को फेफड़ों की बीमारी हो और उसके लगातार संपर्क में रहने से महिला को टीबी हो सकता है. इसके अलावा एचआईवी का संक्रमण, गर्भावस्था में कम वजन एवं कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली महिलाओं को टीबी के संक्रमण की संभावना अधिक होती है. 

बचाव के लिए इन तरीकों को अपनाएँ:

भीड़ भाड़ वाली जगहों से दूर रहें 

जननांगों की अच्छी तरह नियमित सफाई करें 

नियमित रूप से शारीरिक जांच करवायें

नियमित व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनायें 

पौष्टिक भोजन करें और जंक फूड से दूर रहें

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