बदहाल चापाकल परेशान नागरिक और छात्र

रामगढ़ से राजीव कुमार पाण्डेय


रामगढ़ ।। प्रखंड क्षेत्र रामगढ़ के विद्यालयों एवं गांव में लगे लगभग 60% चापाकल मृतप्राय अवस्था में है ।जिससे आए दिन छात्रों एवं ग्रामीण नागरिकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बहुत सारे चापाकल जमीनी पानी के स्तर घट जाने के कारण पाइप छोटा होने के चलते  बंद है।जानकारी के अनुसार मध्य विद्यालय सिसौडा,कन्या मध्य विद्यालय के चापाकल को खराब हुए लगभग दो माह से ऊपर हो गया है।

सिसौडा मध्यविद्यालय के प्रांगण मे तीन चापाकल है।जिसमे दो पूरी तरह बंद है।और एक जो चालू है वह बालू देता है।उसका न ही प्रयोग खाना बनाने में होता है न ही बच्चों के पीने मे। काम कर रही रसोइया का कहना है कि खाना बनाने के लिए बाहर से पानी ढो कर लाना पड़ता है।

15जुलाई को दैनिक जागरण मे छपे खबर के अनुसार मध्य विद्यालय जलदहां का चापाकल दो माह पूर्व से बंद था। पता नही आज तक वहां का चापाकल बना की नही बना।

बच्चे अपने प्यास बुझाने के लिए विद्यालय को छोड़ गांव के किसी घर के चापाकल की सहायता ले रहे हैं। लगभग चार माह पूर्व पीएचडी विभाग के द्वारा जोरो से  बंद पड़े चापाकल की प्रत्येक पंचायत में जाकर  मरम्मती का कार्य किया जा रहा था। लेकिन पिछले 2 माह से विभाग द्वारा मरम्मती कार्य नहीं किया जा रहा है।  ग्रामीणों ,समाजसेवियों ,नेताओं द्वारा बार - बार सूचित करने पर भी विभाग कोई सुध नहीं ले रहा।

इस समस्या को लेकर माननीय रामगढ़ विधायक सुधाकर सिंह ने 15 जुलाई 2022 को पत्र लिखकर जिलाधिकारी महोदय को समस्या से अवगत कराया था ।लेकिन आज तक विभाग द्वारा खराब चापाकल की मरम्मती का कार्य नहीं किया जा रहा है।

आज से लगभग 2 माह पूर्व सिसौडा पंचायत के मुखिया प्रदीप कुमार सिंह द्वारा विद्यालय एवं पंचायत के खराब चापाकल कि मरम्मती कराने  के संबंध में पी एच डी  विभाग के जेई गौतम जी से इस बाबत बात हुई उस समय गौतम जी का कहना था कि विभाग का टारगेट पूरा हो चुका है हम लोग अब खराब चापाकल को नहीं बना सकते। 

आज मेरे द्वारा जेई गौतम जी से प्राप्त जानकारी के अनुसार जनवरी - फरवरी माह मे ही खराब पड़े चापाकल का सर्वे हो जाता है इसके बाद टेंडर होता है।मार्च,अप्रैल के माह तक सर्वे किए हुए चापाकल का ही मरम्मती किया जाता है।आगे उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि लगभग 600चापाकल का टारगेट था जो पूरा हो चुका है। समान नही है। इन्ही सब कारणों से मरम्मती कार्य नही हो रहा है।

सवाल यह पैदा होता है कि क्या लोग इसी तरह से परेशान होंगे ।बच्चे पढ़ाई छोड़ गांव में पानी पीने के लिए जाएंगे। आखिर कब तक विभाग इस पर सुध नहीं लेगा। या जिले के उच्च अधिकारी इस मुख्य समस्या को कब तक दूर करने का कार्य करेंगे।

रिपोर्टर

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