गुरुद्वारा श्री गुरु सिंघ सभा के प्रबंधक परिवार द्वारा लंगर का किया गया आयोजन

संवाददाता कुमार चन्द्र भूषण तिवारी की रिपोर्ट


कैमूर ।। जिला के जी टी रोड कुदरा स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंघ सभा में नावे नानक गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 347- 348 वां पावन पवित्र शहीदी गुरु पर्व के अवसर पर, रविवार को श्री अखंड पाठ साहिब बड़े ही शांति श्रद्धा से संपन्न करते हुए, गुरुद्वारा प्रबंधक परिवार के नेतृत्व में लंगर का किया गया आयोजन। आयोजन के नेतृत्व कर्ता सरदार सुरेंद्र सिंघ द्वारा बताया गया कि जगतगुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस के अवसर पर 2 दिसंबर 2022 दिन शुक्रवार को अखंड पाठ साहिब जी का प्रारंभ किया गया था जिसका समापन आज किया गया। उन्होंने बताया कि जगत गुरु श्री गुरु नानक देव जी के आगमन प्रकाश के पश्चात, आम जनमानस में गुरुतेग बहादुर जी के द्वारा जीवन्त  समस्याओं पर करारे प्रहार से, जहां एक और शांति की लहर दौड़ी तो वहीं दूसरी और अत्याचारियों में घबडा़हट बौखलाहट की ज्वाला फूट पड़ी, जगत गुरु जी द्वारा चलाए आंदोलन को बाद में नौ और गुरुओं ने इसे मुकाम तक पहुंचा कर खालसा पंथ का सृजन किया। इसी कड़ी में नावे नानक श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी को मानव समाज की रक्षार्थ, दिल्ली की चांदनी चौक पर दिल्ली सल्तनत औरंगजेब के अत्याचार के आगे घुटने न टेक कर, जुल्मी को अपनी शहादत देकर झुका दिया। एवं उस अत्याचारी सल्तनत के समाप्त होने की राह तैयार कर दी। अत्याचारी बादशाह औरंगजेब अपनी पाक इस्लाम की तहजीब से हटकर, कट्टरपंथियों के बहकावे में आकर, सभी गैर इस्लामीयों को इस्लाम में आने का फतवा जारी कर दिया, और इसका निशाना बने हिंदुओं के अग्रणी समाज,जो लाचार, विवश होकर देश के समूचे छोटे-बड़े रियासत हिंदू राजाओं, एवं संतों के डेरे मठाधीशों के पास जाकर बादशाह औरंगजेब के, प्रचंड प्रताड़ना से छुटकारा की गुहार लगाई, पर किसी ने भी औरंगजेब से लड़ने या कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटाई, पर श्री गुरु तेग बहादुर जी ने हिंदुओं के रक्षा के लिए अपनी शहादत देकर इनकी रक्षा किया।और आगे गुरु जी के पुत्र श्री गुरु गोविंद सिंघ साहिब जी ने जगतगुरु की राह पर चलते हुए, अपने माता पुत्रों सहित हजारों सिखों की बलिदानी दी। अखंड पाठ साहिब जीके समापन के उपरांत गुरुद्वारा   सिंघ सभा प्रबंधक परिवार गोलू सिंघ करनजीत सिंह व समस्त परिवारिक सदस्यों द्वारा सासाराम, भभुआं, मोहनियां, डेहरी इत्यादि जगहों से आए श्रद्धालुओं के लिए लंगर में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया गया।

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