निजी फायदे के लिए सिर्फ अम्बेडकर के नाम का लिया जाता है सहारा

कैमूर ।। देश व प्रदेश के तथाकथित सामाजिक संगठनों,राजनीतिक पार्टियों एवं तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा निजी फायदे के लिए, अंबेडकर के नाम का सहारा लिया जाता है।जबकि वैसे संगठनों, पार्टियों व वैसे सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा खुद ही अंबेडकर के विचारों का उल्लंघन किया जाता है। अंबेडकर द्वारा जातिगत आरक्षण की मांग केवल 10 वर्षों के लिए किया गया था। पर 75 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी जातिवादी विचारधारा के नेताओं द्वारा दिन प्रतिदिन इसकी बढ़ोतरी किया जा रहा है। जिससे कि समाज व देश में जातिवादी जहर तो घुल ही रहा है, साथ ही योग्यता का भी  गलत प्रयोग  किया जा रहा है। जब जाति सूचक शब्द से किसी वर्ग विशेष को आघात पहुंचता है, तो जाति प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया क्यों, इसका विरोध क्यों नही। तमाम जातिवादी कानूनों का विरोध क्यों नही। अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया बुद्ध जी ने (तथाकथित बातें) मूर्ति पूजन का विरोध किया था तो जगह-जगह बुद्ध व अंबेडकर का प्रतिमा क्यों। इन जातिवादी नेताओं द्वारा देश के कानून के विरुद्ध जहां-तहां भूमि कब्जा करने की नियत से, प्रतिमा स्थापित किया जाता है। कई ऐसे भी संगठन है जिनके द्वारा कानून से हटकर इनके वर्ग विशेष का कोई अपराधी चोरी, डकैती, लूट, हत्या के तहत जब पकड़ा जाता है, तो इनकी पैरवी करते हुए ऐसे संगठनों द्वारा, अपराधियों का पक्ष लेते हुए पदाधिकारियों पर संगठन के नाम से धौंस जमाया जाता है। साथ ही चेतावनी दिया जाता है कि एससी एसटी एक्ट में फंसा देंगे। तो क्या अंबेडकर का विचारधारा यही था?

आखिर इस तरह कब तक चलता रहेगा। कुछ नासमझ लोगों के द्वारा कहा जाता है कि देश का कानून संविधान के तहत चलता है तो जातिवादी कानून क्यों। देश की प्रगति देश की एकता अखंडता के लिए देश के सभी बुद्धिजीवियों को इन सभी विषयों पर विचार करने की जरूरत है, तभी देश की प्रगति होगी और एकता अखंडता स्थापित होगा उक्त वक्तव्य चन्द्र भूषण तिवारी ने व्यक्त किया है ।

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