नारी की ना कोई बुझे लाचारी नींद में सोए हैं उच्च अधिकारी,महिलाओं का पोषण केंद्र बना शोषण का केंद्र

जिला संवाददाता कुमार चन्द्र भुषण तिवारी की रिपोर्ट


कैमूर ।। जिला के रामगढ़ प्रखंड नारी की ना कोई बुझे लाचारी, नींद में सोए हैं उच्च अधिकारी। महिलाओं का पोषण केंद्र बना, उनके शोषण का केंद्र। आपको बताते चलें कि सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जीविकोपार्जन के लिए लघु उद्योग को बढ़ावा देने हेतु बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति योजना चलाया गया है। जिसमें कि मुख्य रूप से महिलाओं को रोजगार के लिए विशेष महत्व दिया गया है। पर योजना में कार्यरत महिलाओं की माने तो विभागीय अधिकारियों व शासन-प्रशासन की रवैए की वजह से महिलाओं का पोषण केंद्र सिर्फ शोषण केंद्र में बदल कर रह गया है। समिति में कार्यरत महिलाओं के द्वारा बताया गया कि प्रखंड के विभागीय अधिकारियों द्वारा हमारा शोषण किया जा रहा है। उनके द्वारा हमारे साथ नौकरों से भी बुरा बर्ताव किया जाता है। और खिलाफ  में आवाज उठाने पर समिति से निकालने की धमकी दिया जाता है। इतना ही नहीं हम लोगों से भ्रमित कर इनके द्वारा अधिक पैसे का मांग किया जाता है। जो भी पैसा जीविका कार्यालय में जमा कराया गया है, उसका प्राप्ति रसीद हम सभी को नहीं दिया गया। हिसाब करने या जांच करने के लिए कहने पर हम सभी को गंदी गंदी गालियां देते हुए अधिकारी उद्दंडता के साथ पेश आते हैं।कहते हैं कि जैसा कहा जाए वैसा करो अन्यथा विभाग से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। जब इसकी शिकायत उच्च पदाधिकारियों से किया जाता है, तो उनके द्वारा जांच का झांसा देकर साक्ष्य की कमियां बताते हुए कुछ ले देकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। विभाग में कार्यरत कोषाध्यक्ष शकुंतला देवी के द्वारा बताया गया कि बीपीएम अब्दुल बारी के समक्ष जब मैं पूर्व में हुए भ्रष्टाचार पर जांच के लिए बात की,तो उनके द्वारा हमारे साथ अभद्रता करते हुए जातिसूचक गालियां दिया जाने लगा। शर्म से मैं जैसे तैसे वहां से निकली, उसके बाद कुछ पल का वीडियो साक्ष्य के तौर पर मेरे द्वारा बनाया गया। जिसमें यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, कि बीपीएम द्वारा अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। जिस संदर्भ में शिकायत दर्ज कराने के लिए विभागीय अधिकारियों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों से भी गुहार लगाई, पर किसी के द्वारा भी हमारी समस्याओं को नहीं सुना गया। 20 मई को मैंने जिला पदाधिकारी से मिल कर के आवेदन देते हुए न्याय की गुहार लगाई, उनके द्वारा जांच हेतु विश्वास दिया गया पर अभी तक कोई भी निर्णय नहीं दिया गया। उल्टा बीपीएम द्वारा हमें विभाग से निकाल दिया गया है। इतना ही नहीं विभाग में कार्यरत पुरुष कर्मी एन एच एस राकेश उपाध्याय व मास्टर बुक कीपर मोहन प्रसाद गुप्ता द्वारा, हमारे निजी जिंदगी में भी दखल देते हुए जहां-तहां मोबाइल से फोटो वीडियो भी बनाया जा रहा है। ऐसी समस्या किसी एक महिला के साथ नहीं है प्रखंड अंतर्गत कार्यरत अधिकांश महिलाओं के साथ है। उक्त समय विभाग में कार्यरत महिला कर्मी शकुंतला देवी,  लालसा देवी,  शीला देवी, अतवारी देवी,  तेतारा देवी,  जोखन कुंवर,  अनामिका तिवारी उपस्थित रही। यह बहुत ही सोचने का विषय है कि विगत दिनों बिहार सरकार महागठबंधन की ओर से केंद्र की सरकार पर महिलाओं से नाइंसाफी करने की बातें करने के साथ ही बढ़ चढ़कर महिला सशक्तिकरण का बात किया जा रहा था, पर इन पीड़ित महिलाओं की स्थिति देखा जाए तो शासन-प्रशासन किसी के द्वारा भी इन्हें न्याय देने के लिए एक कदम भी नहीं उठाया गया। बिहार सरकार व बिहार सरकार के सोए हुए पदाधिकारियों से आग्रह है कि नारी की लाचारी पर ध्यान देते हुए इनकी समस्याओं का समाधान किया जाए। सिर्फ नारी सशक्तिकरण की बातें करने से नारी सशक्त नहीं होगी इनके समस्याओं का समाधान होना चाहिए।

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