मूर्ति विध्वंसकारीयों विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही करने हेतु किया गया मांग


जिला संवाददाता कुमार चन्द्र भुषण तिवारी की रिपोर्ट


कैमूर ।। जिला के नुआंव प्रखंड अंतर्गत कुछिला थाना क्षेत्र के मुखराँव गांव स्थित सरकारी तालाब कब्जा करने की नियत से, ईसाई धर्मावलंबियों (भीम आर्मी) के द्वारा भगवान श्री हनुमान एवं भगवान श्री विश्वकर्मा का मूर्ति विध्वंस किया गया, जिसके विरुद्ध परशुराम सेना सामाजिक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनोद तिवारी के द्वारा आरक्षी अधीक्षक ललित मोहन शर्मा से मिलकर आवेदन सौंपते हुए मूर्ति विध्वंसकारीयों के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही करने हेतु किया गया मांग। आपको बताते चलें कि विगत दिनों नुआंव प्रखंड के मुखराँव गांव में तालाब की भूमि को कब्जा करने की नियत से ईसाई धर्मावलंबियों (भीम आर्मी) के द्वारा तालाब किनारे स्थित भगवान श्री हनुमान एवं भगवान श्री विश्वकर्मा के मंदिर पर हमला कर मूर्तियों को खंडित कर दिया गया। जिससे कि दो समुदायों में आपसी तनाव पैदा हो गया। स्थल से मिली जानकारी के अनुसार उपद्रवी तत्वों की ओर से ईंट पत्थर के साथ ही गोलीबारी भी चलाने की बात बताई जा रही है। जिससे आसपास के गांवों के साथ ही देश के सभी सनातन धर्मियों में आक्रोश व्याप्त है। मूर्ति विध्वंसक कारियों के विरुद्ध श्री तिवारी द्वारा आरक्षी अधीक्षक से मिलकर मूर्तियों को तोड़ने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही करने की मांग किया गया। लिखित आवेदन उनके द्वारा स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है कि जो भी तालाब सैकड़ों साल पहले से अस्तित्व में है,वहां मंदिर स्थापित कर पूजा पाठ होते रहा है। भारत में ऐसी मान्यता रही है कि जहां भी लोग स्नान करते हैं, वहां पूजन करते हैं, इसी उद्देश्य से जब वहां तालाब निर्मित हुआ होगा, तो स्नान के बाद पूजा के लिए भगवान हनुमान व भगवान विश्वकर्मा जी की मूर्ति स्थापित की गई होगी। यह भी ध्यान देने का विषय है कि जब तालाब का निर्माण किया गया होगा, उस समय वह जमीन सर्वसाधारण जमीन नहीं थी, उस समय जमीदारी प्रथा थी और जिन लोगों ने तालाब बनवाया होगा, वह उस समय उन लोगों की निजी संपत्ति थी। फिर भी आजादी के बाद जितने भी तालाब-कुआं इत्यादि का निर्माण निजी स्तर पर किया गया था, उन सब का सरकारीकरण किया गया। असामाजिक तत्वों का कहना है कि तालाब के किनारे बने मंदिर सरकारी जमीन पर बने हैं, तो यह सरासर गलत है। यह आजादी से पहले का तालाब है और आजादी से पहले की वहां पर मूर्ति स्थापित है।ऐसे में जो असामाजिक तत्व इस बात की बेतुकी मांग कर रहे हैं, कि वहां से भगवान हनुमान और विश्वकर्मा भगवान का मंदिर हटाया जाए या बाबा साहब का भी मंदिर बनाया जाए। तो वह यह भी जान लें की जितना पुराना अस्तित्व तालाब का है, तो उतना ही पुराना अस्तित्व वहां स्थित भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति एवं भगवान हनुमान जी की मूर्ति का है। कुछ लोगों द्वारा यह भी दर्शाने की कोशिश किया जा रहा है कि उपद्रवी भी सनातन धर्म से जुड़े हुए हैं। तो यह गलत है, जितने भी उपद्रवी हैं धर्म परिवर्तन कर चुके हैं और वह सभी ईसाई समाज से हैं।इसलिए उनकी आस्था सनातन में नहीं है, ये लोग आरक्षण का लाभ लेने के लिए हिंदू कागजों में मात्र बने हैं।जबकि इन्होंने व्यवहारिक रूप से धर्मांतरण कर लिया है। अतः इस बात की जांच हो कि इनके धर्मांतरण के पीछे कारण क्या है ? और क्यों ना धर्मांतरण के बाद इनका एससी एसटी का सर्टिफिकेट रद्द किया जाए ? क्योंकि यह कहीं ना कहीं हिंदू समाज के दलित भाइयों की हकमारी कर रहे हैं। और यही कारण रहा कि उन्होंने सनातन धर्म पर कुठाराघात किया है। और उनके इस कुकृत्य के कारण दो धर्मों के बीच टकराव उत्पन्न हुआ है, समाज में अशांति बढ़ी है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा हो सकता है। जिसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। अगर अगले 1 सप्ताह के अंदर इन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही नहीं हुई, तो कैमूर जिले के सभी हिंदूवादी संगठनों द्वारा जिला मुख्यालय पर आमरण अनशन प्रारंभ किया जायेगा।

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