नवरात्र के पहले दिन मुंडेश्वरी मंदिर में उमड़े श्रद्धालु

चैनपुर संवाददाता सिंगासन सिंह यादव की रिपोर्ट 


कैमूर ।। चैनपुर विधान सभा के भगवानपुर में पौरा पहाड़ी पर स्थित मां मुंडेश्वरी धाम में बलि की अनोखी प्रथा है और यहां दी जानेवाली बलि की प्रक्रिया भी बेहद खास है.ऐसी बलि प्रथा पूरे विश्व में कहीं भी नहीं है.जहां लोग मां के सामने उनसे अराधना कर अपना संकल्प लेते हैं और बकरे चढ़ाने की बात कहते हैं.संकल्प पूरा होने पर लोग पुनः मां के दरबार मुंडेश्वरी धाम में आते हैं तब एक बकरे को साथ लेकर आते हैं और बकरे को स्नान कराकर फूल माला के साथ मां के चरणों में ले जाते हैं.जहां पुरोहित  के द्वारा बकरे को मां के समक्ष चरणों में लिटा दिया जाता है और फूल अक्षत मार के मां को अर्पित किया जाता है.जहां बकरा अचेत अवस्था में हो जाता है।पुनः पुरोहित के द्वारा मां रक्षा करो करके अक्षत बकरे पर मारा जाता है.तब बकरा लड़खड़ाता हुआ खड़ा हो जाता है. ऐसे में बकरे की बलि की प्रक्रिया पुर्ण की जाती है।वहीं पुजारी उमेश मिश्रा बताते हैं मां मुंडेश्वरी के मंदिर के अंदर गर्भ गृह में चतुर्भुज शिवलिंग और शिव परिवार की प्रतिमा उपस्थित है.यहां मां मुंडेश्वरी की प्रतिमा है.यहां बलि प्रथा बहुत मशहूर है.जो लोग मन्नत मानते हैं कि मां मेरी मन्नत पूरी हो जाए तो बकरा चढ़ाएंगे, लेकिन यहां रक्तविहीन बलि दी जाती है. हिंसा नहीं की जाती है. यहां अहिंसक बलि दी जाती है. जिसे मां स्वीकार करती हैं,ऐसा बलि प्रक्रिया पूरे विश्व में नहीं होता है.जो यहां हमारे मां मुंडेश्वरी मन्दिर में होता है।मंदिर का इतिहास काफी पुराना है।चैत्र व शारदीय नवरात्र के समय मंदिर में बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश व देश के कोने कोने से भक्त यहां मां की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। मां मुंडेश्वरी सभी की मनोकामना पूर्ण करती हैं।

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