टीबी मुक्त पंचायत : चयनित पंचायतों में चलेगा एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान

 माइक्रोप्लान के तहत दो चरणों में पूरा किया जायेगा टीबी रोगी खोज अभियान

- जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने सभी एमओआईसी से माइक्रो प्लान किया तलब

बक्सर ।।  जिले को टीबी मुक्त कराने के उद्देश्य से एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान शुरू होने वाला है। जिसके तहत टीबी के नए मरीजों की खोज की जाएगी। हालांकि, यह विशेष अभियान टीबी मुक्त पंचायत पहल कार्यक्रम के तहत चयनित सभी प्रखंडों के दो-दो पंचायतों में ही चलाया जाना है। लेकिन, जिले को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। जिसके माध्यम से लोगों को जागरूक भी किया जायेगा और इसी प्रकार अन्य पंचायतों में भी इस अभियान को कार्यान्वित किया जायेगा। इसके लिए दो चक्र में अभियान का संचालन किया जायेगा। जिसमें पहले चक्र में 22 से 26 नवंबर और दूसरे चक्र में 18 से 23 दिसंबर तक चयनित पंचायतों में आशा कार्यक्रताएं घर घर जाकर टीबी के लक्षण वाले मरीजों की खोज करेंगी। साथ ही, उनके बलगम का सैंपल लेंगी। उसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अधिकारी अपने स्तर से सैंपल की जांच करेंगे या उसे जिला यक्ष्मा केंद्र को उपलब्ध कराएंगे। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य ही टीबी के लक्षणों के साथ जीने वाले उन संभावित मरीजों की पहचान और इलाज करना है, जो अपनी अज्ञानता या नासमझी के कारण अपना इलाज नहीं करा पाते। ऐसे लोग स्वयं के साथ अपने आसपास के लोगों में भी टीबी के संक्रमण का प्रसार करते हैं। जो की टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी बाधा बन सकते हैं।

नए मरीजों की खोज के बाद की जाएगी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग :

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, जिले में आगामी दिनों एसीएफ कार्यक्रम चलाया जाएगा। जिसके बाद टीबी मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करके नए मरीजों की खोज की जाएगी। इसके लिए सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों से माइक्रोप्लान तलब किया गया है। ताकि, उसी अनुसार चयनित पंचायतों में गतिविधियों का संचालन किया जायेगा। जिन क्षेत्रों में टीबी के केस अधिक संख्या में पाए जाएंगे, ऐसे क्षेत्रों की पहचान कर शिविर का आयोजन कर नए मरीज खोजे जाएंगे। उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को टीबी के लक्षणों की जानकारी दी। उन्होंने कहा, टीबी रोगी को इस बात का भरोसा दिलाया जाए कि वह इस रोग से निश्चित रूप से पूरी तरह ठीक हो सकता है। रोगी की पहचान और इलाज आरम्भ होने के बाद बीच में दवा नहीं छोडी़ जाए, ऐसा करने पर साधारण टीबी, जटील टीबी में बदल सकती है। 

2025 तक टीबी को जड़ से खत्म करने की दिलाई जाएगी शपथ:

जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीसी कुमार गौरव ने बताया कि सरकार के लक्ष्य के अनुसार जिले को 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है। इसके लिए टीबी मुक्त पंचायत अभियान की शुरुआत की गई है। इस अभियान में पंचायत स्तर पर जनप्रतिनिधियों और लोगों की सहभागिता बढ़ाते हुए उन्हें जागरूक करना है। जिससे ये लोग अपने आसपास के लोगों को टीबी के लक्षण, जांच, इलाज व अन्य संबंधित जानकारियां लोगों तक पहुंचाएं। एसीएफ अभियान के क्रम में पंचायत स्तर पर लोगों को शपथ भी दिलाई जाएगी। जिसमें यह भी अपील किया जायेगा कि टीबी की बीमारी जैसे कलंक को हमें अपने देश से पूर्णतया मिटाना होगा। इसके लिए सभी की भागीदारी बहुत ही आवश्यक है। टीबी के मरीजों से भी अपील की गयी कि वह अपने इलाज को बीच में न छोड़ें। अगर कोई भी हमारे परिवार या आसपास में टीबी संभावित व्यक्ति दिखाई देता है या ऐसा लगता है कि उसको टीबी हो सकती है तो उसकी जांच पास के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर करानी चाहिए।

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