शास्त्र सत्य का ज्ञान कराते है : जीयर स्वामी

रोहतास--- जिले के बिक्रमगंज अनुमंडल के बिक्रमगंज प्रखंड के कांडाडीह गांव में रविवार को राष्ट्रीय संत जीयर स्वामी  जी महाराज ने श्रद्धालुओं को वेद पुराण का प्रसंग सुनाया तथा कहा कि तीन ऋणों से जो व्यक्ति मुक्ति पा लिया उसे भवसागर पार होने से कोई नहीं रोक सकता । जिसमें भी मातृ व पितृ ऋण सबसे बड़ा ऋण होता है । इस ऋण को अगर लगन व दिल से चुका दिया गया तो वह व्यक्ति अलौकिक हो जाता है । इसके अलावा उन्हें देव व ऋषि ऋण की भी व्याख्या कर माताओं को भी सही दिशा में ऊर्जा लगाने की बात कही । वेद उपनिषदों का विस्तार से चर्चा किया । ऐसे पंडितों से सावधान रहने की बात कही जो दान में पूरी विरासत मांगता हो । मांगने वाला व देने वाला दोनों के लिए यह क्षण कष्टकारी होगा । राष्ट्रीय संत जीयर स्वामी ने संस्कृत के श्लोकों के माध्यम से दान का महत्व बताया तथा कहा कि भीक्षा व दान देना कोई गलत नहीं है । लेकिन ऐसा दान होना चाहिए जिससे भविष्य व वर्तमान भी सुरक्षित रहे । यानी लोभी को दान देने के बाद दाता कंगाल हो जाए तो उस दान का कोई महत्व नहीं । शास्त्र सत्य का ज्ञान कराते हैं । उलझन को सुलझाते है । शंका का समाधान करते हैं । भटके हुए लोगों को सही मार्ग पर लाते हैं । उन्होंने कहा कि जगत कल्याण के निमित्त वेद, उपवेद, उपनिषद, पुराण व स्मृतियों की रचना हुई । रामायण, महाभारत, रामचरित मानस जैसे ग्रंथ सही मार्ग पर चलने की सीख देते हैं । उन्होंने कहा कि शास्त्रों की गलत व्याख्या से लोग भ्रम में पड़ जाते हैं । जीयर स्वामी ने बाल्मीकि रामायण के उद्धरण के अनर्थ का हवाला देते हुए कहा कि वारुणी शब्द का अर्थ कुछ लोग भगवान राम के शराब सेवन से लगाते हैं । लेकिन यह गलत है । वारुणी शब्द साधक के हृदय में स्त्रावित होने वाला रस है । उससे योगी की साधना अविरल चलती रहती है । इसलिए शास्त्रों का अर्थ निकालते समय शब्द नहीं, उसके प्रकरण पर ध्यान देना चाहिए । उन्होंने सनातन परंपरा में सगुण उपासना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नाम का उपासक भ्रम में रह सकता है लेकिन रूप का उपासक कभी भ्रभ में नहीं रहता । मौके पर पटना से चलकर आये संतोष उपाध्याय , डॉ बलिराम मिश्र , डॉ मनोज कुमार मिश्र , अशोक पाठक , बीरेंद्र तिवारी , अनिल तिवारी , चारोधाम मिश्र सहित समस्त ग्रामीण व श्रद्धालुओं की भीड़ प्रवचन स्थल पर मौजूद थे ।

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