देश को कमजोर कर रहे भारतीय राज नेता और देश में कुकुरमुत्ते की तरह बनें संगठन
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Aug 09, 2024
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संवाददाता श्याम सुंदर पाण्डेय की रिपोर्ट
दुर्गावती(कैमूर)- वर्तमान परिवेश में सच पूछा जाए तो देश को कमजोर करने वाले राजनीतिक कार्यों में जुड़े राजनेता, और देश में बनें कुकुरमुत्ते की तरह संगठन अपनी जिम्मेदारी से दूर नहीं भाग सकते। विश्व के मंच से दूर यह देश आजादी के बाद अपनी अस्तित्व में आया, लेकिन गंदी मानसिकता वाले राज नेताओं के गतिविधियों से आज जातिवादियो के जहर का शिकार बन गया हैं, जो देश को सुदृढ़ बनाने में एक रोड़ा बनकर खड़ा है। सच देखा देखा जाए तो विकास के लिए बनने वाले योजनाओं का लाभ धरातल पर रहने वाले सभी लोगों को नही मिल रहा है, तो फिर जाती पाती की बात करना क्या देश के लिए बेईमानी नहीं है।वोट के लिए देश में जात-पात की राजनीति कर, देश को कमजोर करना क्या जरूरी है? क्या तुम लोगों के द्वारा किए गए विकास का काम जनता को दिखाई नहीं देगा और उस विकास का फायदा क्या देश के आम नागरिक नहीं लेंगे। आज के परिवेश में गंदी सोच वाले राजनेता किसी तरह से दिल्ली की संसद भवन पहुंच जाते हैं, और फिर गंदी चाल संसद में बैठकर करते हैं, जिससे देश की एकता और अखंडता पूर्ण रूप से कमजोर हो रही है। देश को इतना जातीय हिस्सों में तोड़ दिया गया है, की आम नागरिक को अपने देश के जातीय नेताओं को छोड़कर देश में किए जा रहे कार्य और विकास के विषय में सोचने का मौका ही नहीं है। साइकिल पर चलने वाले, हाथों में चाकू लेकर घूमने वाले, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले, इसी गंदी चाल से संसद भवन पहुंच जाते हैं, और फिर शुरू होता है राजनीति का घृणात्मक खेल, जो आजकल देखने को मिल रहा है। देश के राजनेता यह कह रहे हैं कि बांग्लादेश की तरह और अफगानिस्तान की तरह इस देश में भी दंगे होने वाले हैं । यदि संजोग बस ऐसा समय देश में आए तो क्या इसकी जिम्मेवारी उन नेताओं की नहीं होगी, अपनी जिम्मेदारी से दूर भागना क्या अनुचित नहीं होगा। देश की संपत्ति को लूटकर महल बनाने वाले राजनेता कहां भूले हैं, क्या जब हिंसा देश में फैलेगी तो बांग्लादेश देश की तरह आपके भी भवन को भी दंगाई नहीं तोड़ेंगे?या आप खुद ही दंगाई हों जो दुसरे को लूटने की बात कर रहे हो।प्रकृति अपनी गति से चल रही है सूर्य सबको प्रकाश दे रहा है! हवा सबको मिल रही है उसने तो कभी नफरत से अपनी गति नहीं छोड़ी, फिर आप क्यों नफरत की बीज बो रहे हो। यदि आप नफरत से दूर रहते तो देश की जनता आपको ईश्वर की तरह पूजती , क्योंकि राजा ईश्वर का प्रतिनिधि धर्म शास्त्रों में माना गया है। ईश्वर के प्रतिनिधि को आज के परिवेश में लोग घृणा की दृष्टि से देख रहे हैं, क्या सचमुच आप घृणा के पात्र नहीं है। क्या देश में जातीय संगठन बनाना किसी जाति के लिए बोर्ड बना देना, ताकि वह देश का जमीन हथिया सके यह उचित है। यही पर राजनीतिक खेल बंद नहीं होता खेल आगे बढ़ता हुआ जातीय सुविधा, जातीय भेदभाव करके लोगों को फंसाना, न्यायालय में दौड़ना क्या यह तरीका वोट लेने का सही लग रहा है। इन राज नेताओं को क्या जनता समझ नहीं रही है। यदि सचमुच देखा जाए तो इस तरह की राजनीति का खेल यदि बंद नहीं होते तो भारत में कब क्या होगा कुछ कहना मुश्किल भी नहीं लगता।
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