एक सुई: एक सिरिंज का केवल एक ही बार उपयोग किया जाना चाहिए : डॉ सिंह

टीकाकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा संक्रामक रोगों के लिए प्रतिरोधक क्षमता को विकसित किया जाता है।


जागरूकता रैली हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर सिसौडा  से सिसौडा गाॅव तक निकाली गई।


रामगढ़ कैमूर । राष्ट्रीय आईएमए के महात्वाकांक्षी योजना ' आओ गाँव चलें ' के अंतर्गत विश्व टीकाकरण दिवस  के अवसर पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार शाखा द्वारा गोद लिए गांव सिसौडा मे 14 नवंबर को ग्रामीण क्षेत्र में टीकाकरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए  कैमूर जिले के रामगढ़ प्रखंड स्थित  अकोढी गाँव मे   " निशुल्क टीकाकरण शिविर एवं टीकाकरण जागरुकता रैली " जिला स्वास्थ्य समिति कैमूर के सहयोग से आयोजित किया गया।   जागरूकता रैली हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर सिसौडा  से सिसौडा गाॅव तक निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में आईएमए के चिकित्सक, रेफरलअस्पताल रामगढ के  स्वास्थ्य कर्मी एवं आशा इत्यादि शामिल रहे । लगभग 25 बच्चों का टीकाकरण हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ आर के चौधरी थे।  जागरुकता रैली को संबोधित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार के प्रदेश सचिव डॉ संतोष कुमार सिंह ने किया ।

 टीकाकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा संक्रामक रोगों के लिए प्रतिरोधक क्षमता को विकसित किया जाता है। जितना मजबूत हमारा इम्यून सिस्टम होगा उतना ही ज्यादा हम स्वस्थ और फिट रहेंगे।

यह दूसरे व्यक्तियों में रोग के फैलने को कम करने में मदद करता है। टीकाकरण संक्रमण के बाद या बीमारी के खिलाफ़ व्यक्ति की रक्षा के लिए शरीर के इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है। किसी की शुरू से ही प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जो उन्हें स्तनपान के माध्यम से अपनी माँ से प्राप्त होती है। यह प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है, क्योंकि बच्चे की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित होना शुरू हो जाती है।

टीकाकरण, किसी बीमारी से लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन को सुरक्षित बनाने का एक कारण है। बीमारियों से बचाने के लिए भारत में सार्वभौमिक टीकाकरण, मिशन इंद्रधनुष जैसे कार्यक्रम चलाए जाते हैं। कोरोना महामारी के प्रकोप को भी टीकाकरण के माध्यम से ही कम किया गया । 

ऐसा नहीं है कि पहली बार किसी वायरस ने दहशत फैलाई है। इससे पहले स्पेनिश फ्लू, स्वाइन फ्लू, सार्स, प्लेग जैसी महामारियाँ फैल चुकी हैं। बहुत सारी बीमारियों में शोध के बाद वैज्ञानिकों ने इनसे लड़ने वाले एंटी डाट्स और टीके तैयार किए हैं। कभी चेचक और पोलियो भी बड़ी महामारी होती थी, लेकिन अब इन बीमारियों की प्रभावी वैक्सीन तैयार हो चुकी है। टीकाकरण के जरिए ही कई सारी महामारियों से लोगों को बचाया जा सका ।

देश में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में 15 वर्ष तक की आयु के बच्चें तथा गर्भवती महिलाओं को गंभीर रोगों से बचने के लिए टीके लगाए जाते हैं इनमें तपेदिक (टी.बी) डिप्थीरिया, परटूसिस (काली खाँसी), टिटनेस, खसरा (मीजल्स) तथा पोलियो (पोलियोमाइटिस) आदि शामिल है।

छोटे बच्चों को सही समय पर इन सभी रोगों से बचने के लिए वैक्सीन्स की पर्याप्त खुराकें दी जाती है जिसके तहत इन रोगों से बचा जा सकता है। भविष्य में घातक व अपंग करने वाली बीमारियों से बचने के लिए बच्चे को टिटनेस टॉक्साइड वैक्सीन के अतिरिक्त अन्य वैक्सीन्स लगाना बेहद आवश्यक है।

गर्भवती महिला को टिटनेस टॉक्साइड (टी.टी) के 2 टीके लगवाने चाहिए। ये टीके गर्भावस्था में कभी भी लगवाए जा सकते हैं, हालाँकि समय से पहले हो जाने वाले प्रसव तथा गर्भपात को कवर करने के लिए इन्हें गर्भावस्था के शुरू में लगवाना अधिक लाभकारी होता है | टीकों के बीच 4-6 सप्ताह का अंतर अवश्य होना 

रोगियों के लिए स्मरण योग्य संकेत

एक सुई: एक सिरिंज का केवल एक ही बार उपयोग किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करें।

    •   यह सुनिश्चित करें कि सुई और सिरिंज दोनों को उपयोग के बाद नष्ट कर दिया जाएँ। सुई बदलना और सिरिंज का पुन: उपयोग करना अत्यधिक असुरक्षित होता है।

    •   दिशा निर्देशों के अनुसार टीकाकरण अनुसूची का पालन करें। अपने प्रतिरक्षण रिकॉर्ड की जानकारी अवश्य रखें तथा किसी भी प्रकार के टीकाकरण से पहले इस जानकारी को अपने साथ लेकर ज़रूर जाएँ।

    •    किसी भी प्रकार के टीकाकरण से पहले हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श लें।

इस अवसर पर डॉ कुमार रविशंकर, डॉ एम के उपाध्याय , सिसौडा पंचायत मुखिया प्रदीप कुमार,  सर्वेश कुमार,  मनीष कुमार,  गुलशन परवीन,   एएनम चिंता कुमारी,  आंचल कुमारी,  आशा सरोज,  निर्मला,  बबीता,  मीना,  रंजना इत्यादि मौजूद रहे

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