जाति व अयोग्यता आधारित कानून देश के लिए नासूर

संवाददाता श्याम सुन्दर पांडेय की लेखनी से

कैमूर- एक तरफ लोकतंत्र की दुहाई दी जाती है तो दूसरे तरफ देश में अटपटे कानून बना दिए जाते हैं। जिसके दूरगामी परिणाम क्या हो सकते है, समाज में इस कानून से दूरियां बढ़ेगी या घटेगी इसकी परवाह कानून बनाने वालों में किसी को नहीं है। लगभग 10 से 15 एकड़ में फैले  बंगले नौकर चाकर सुरक्षा प्रहरी सरकार के द्वारा मुफ्त में लि जाने वाली सुविधा पेंशन से लैस राजनेता जो इस राजशाही सुख सुविधा के  लिए जो देश में राजनीतिक खेल कर रहे है, उसका क्या दूरगामी परिणाम क्या होगा दूरियां बढ़ेगी या नहीं इसकी परवाह उन राजनेताओं को नहीं है। पूरे देश की राजनीति आज आरक्षित और अनारक्षित के बीच हो रही है। जिसके कारण दोनों के बीच दूरियां बढ़ रही है जिसका परिणाम होगा कि यह दूरियां एक दिन अलगाव बाद को जन्म दे सकती है। भारत तेरे टुकड़े होगे के नारे लगे तो देश में हो हल्ला शुरू हुआ राजनेताओं ने यह नहीं सोचा वोट के लिए इस तरह से कानून बनाकर देश को जो बांटने की परंपरा चल रही है कुर्सी के लिए उसका परिणाम आने वाले समय में क्या होगा। देश तेरे टुकड़े होगे का नारा  इस पर सटीक नहीं बैठता । समानता के अधिकार का हनन कर बिना जांच किये किसी को जेल में भेज देना क्या  उनके अधिकारों का हनन नहीं है। एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं बटोगे तो काटोगे और एक तरफ प्रधानमंत्री कहते हैं एक रहोगे तो सेफ रहोगे। क्या इस भेदभाव युक्त कानून बनाए जान से कोई एक हो सकता है। क्या भविष्य में ऐसे कानून से लोगों के बीच नफरत के बीज नहीं उगेगी ,देश बंट नहीं सकता, केवल नारा देना कुछ और कानून बनाना कुछ एकता को दर्शाता है, क्या एक म्यान में दो तलवार रह सकती हैं के इस कहावत चरितार्थ नहीं करती।  जातीय आधारित जनगणना से हिंदू समाज में एकता और राष्ट्र में मजबूती आ सकती है, यह तो कोरी कल्पना है। आज के परिवेश में लोग कहते हैं मुसलमानों से देश को खतरा है हिंदूओ एक हो जाओ क्या इस भेदभाव युक्त कानून से एकता संभव है। इस देश में आने वाले भविष्य में ऐसे कानून बंटवारे को जन्म नहीं दे सकती इसकी गारंटी कोई ले सकता है। राजनीति करना अच्छी बात है विकास करना देश को आगे ले जाना अच्छी बात है लेकिन जाति आधारित कानून बनाना जाति आधारित जनगणना करना जाति आधारित पार्टी बनाना जाति आधारित टिप्पणी करना आने वाले समय में देश के लिए घातक होने का संकेत है। जिन लोगों को टारगेट बनाकर कानून बनाया जा रहा है आखिरकार उन लोगों के पास है क्या, उन लोगों ने तो अपना राज पाठ कोष जवानी और जिंदगानी सब कुछ राष्ट्र को दे दिया तो अब उनको धुरी बनाकर देश में अलगाववाद की बीज क्यों राजनेताओं द्वारा बोई जारही है। ऐसे भेदभाव युक्त कानून में यदि सुधार करके और कानून में संशोधन करके देश को एक रास्ते पर एक कानून से यदि नहीं  लाया गया तो भविष्य में देश में एक नई आवज उठ सकती है।

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