
वक्फ बोर्ड पर अभी नहीं तो कभी नहीं, अमीर वर्ग नहीं चाहता कि गरीबों का भी भला हो
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Apr 10, 2025
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संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट
दुर्गावती (कैमूर)-- संवाददाता की लेखनी से - वक्फ बोर्ड पर संशोधित कानून से देश में घमासान मचा हुआ है। जहां देखो विपक्ष यह समझाने में लगा हुआ है की वक्फ बोर्ड कानून में जो संशोधन हुआ है वह मुस्लिम विरोधी है जिसको लेकर कश्मीर से लेकर मणिपुर तक बंगाल के मुर्शिदाबाद से लेकर अन्य राज्यों में तमाम जगहों पर हिंसक विरोध हो रहा है जो शर्मनाक हैं। मुस्लिम वर्ग में जो धनी वर्ग है वह नहीं चाहते कि वक्फ बोर्ड के जमीन की आमदनी का हिस्सा उन गरीब मुस्लिमों तक पहुंच सके। कुछ लोगों निजी स्वार्थ और सुख सुविधा के लिए अपनों का विरोध करना शुरू कर दिया है। देश में बने कानून के तहत तमाम सनातन धर्म के मंदिरों के आमदनी का पैसा देश के तमाम वर्गों के विकास में लगाया जाता है तो वक्फ बोर्ड के आमदनी के पैसे को क्यों नहीं लगाया जा सकता। एक तरफ संविधान को मनाने की बात की जाती है तो दूसरी तरफ विरोध क्यों। देश में समय-समय पर कानून बने संशोधन हुए तो कहीं विरोध नहीं हुआ लेकिन आज विरोध क्यों हो रहा है। यदि किसी के द्वारा दी हुई दान हो तो उसके कागजात को प्रस्तुत करना चाहिए अन्यथा अधिगृहित की गई भूमि को होगी तो उसे वापस लौटना ही होगा क्योंकि ऐसा करने का अधिकार किसने दिया, क्या वक्फ बोर्ड कोई सरकार है कि जब चाहे किसका का जमीन अधिग्रहण कर ले। आजादी काल में जब धन और जमीन की जरूरत थी तो राजा और महाराजाओं ने अपनी जमीन और राज कोष देश को चलाने के लिए दे दिया इसके बाद भी सीलिंग एक्ट लागू हुआ तब तो देश में कोई नहीं बोला जिसकी आमदनी से देश की तमाम जनता के ऊपर आज खर्च हो रहा है। जब देश में आरक्षण जैसी महामारी सब कुछ देने के बाद लगाई गई तब भी किसी ने कुछ नहीं बोला की जमिनदारी भी ले लिए राजकोष भी ले लिए अब आरक्षण लगाकर क्यों हाथ पैर बांध रहे हैं। आज देश में सनातन धर्मावलंबियों को कई टुकड़ों में बांट दिया गया है फिर भी सरकार देश के आमदनी की राशि सब पर खर्च करती है चाहे वह मंदिरों से ही लिया गया पैसा क्यों न हो। लेकिन एक तरफ वक्फ बोर्ड के जमीन की राशि उसी वर्ग के लोगों से वंचित कर उसी वर्ग के खास लोग के लिए क्यों छोड़ दिया गया क्या यह देश के साथ और उसी वर्ग के गरीबों लोगों के साथ अन्याय नहीं था। अब समय आ गया है उस वर्ग के गरीबों को न्याय देने का यदि सरकार संशोधित बिल पर अडिग नहीं रहती है तो अभी नहीं तो कभी नहीं की परंपरा चल देगी जो देश के लिए घातक होगा।
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